पुणे। महाराष्ट्र के एक गांव ने मानवता की अद्भुत मिसाल कायम की है। आज के समय में जबकि कई बार अपने भी अपनों के काम नहीं आते, अस्पताल में एक गरीब किसान को मौत के मुंह से निकालने के लिए पूरे गांव के लोग दिन-रात एक कर दिए। इलाज के लिए 20 लाख रुपए का लंबा-चौड़ा बिल गांववालों के समर्पण के आगे छोटा पड़ गया। अस्पताल में वेंटिलेटर पर अंतिम सांसें गिन रहे किसान की जिंदगी बचाने के लिए पूरा गांव दो महीने तक परिवार के साथ खड़ा रहा। हॉस्पिटल और डॉक्टरों ने भी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी और किसान की जिंदगी बच गई।
दरअसल, अमरावती जिले के जस्सापुर गांव के किसान मोहन भडांगे (42) करीब दो महीने पहले अचानक हुई बारिश में भीगने से बीमार पड़ गए। स्थानीय अस्पताल में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई तो डॉक्टरों ने उन्हें पुणे रैफर कर दिया। भडांगे की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह पुणे जाकर किसी बड़े अस्पताल में इलाज करा सकें। यही वजह है कि जब उन्हें पुणे रैफर किया गया तो उनका परिवार इस बात को लेकर परेशान हो गया कि वह शहर के बड़े अस्पताल में इलाज का खर्च कैसे उठाएंगे।
यह बात जब गांववालों को मालूम हुई तो सभी उनकी मदद के लिए एक साथ खड़े हो गए। भडांगे की मदद के लिए गांववालों और रिश्तेदारों ने शुरू में करीब छह लाख रुपए जुटाए और लेकर पुणे इलाज के लिए पहुंचे। पुणे के दीनानाथ मंगेशकर हॉस्पिटल में मोहन का इलाज शुरू हुआ। यहां डॉक्टरों ने शुरुआती जांच के बाद बताया कि भडांगे स्वाइन फ्लू और निमोनिया से पीड़ित हैं। उनकी लगातार खराब होती स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने तुरंत वेंटिलेटर पर रखा। जांच के दौरान पता चला कि उनकी किडनी भी खराब है और अब उनका बचना काफी मुश्किल है। दु:ख की इस घड़ी में भडांगे के परिवार के साथ गांववाले अस्पताल में मौजूद रहे।