नई दिल्ली। उत्तराखंड के एक लव जिहाद का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। लड़का जेल में बंद है और उसने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि उसकी पत्नी को पेश किया जाए और उसके हवाले किया जाए। लड़का मुस्लिम है और उसने हिंदू लड़की से भागकर निकाह किया था। अर्जी में दावा किया गया है कि दोनों प्यार करते थे और निकाह किया, लेकिन लड़की के घरवालों ने उस पर अपहरण का केस दर्ज कराया और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। लड़की को उसके परिजन के पास भेज दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को लड़की को कोर्ट के सामने पेश करने का आदेश दिया है, ताकि उसका पक्ष जाना जा सके। दानिश नामक लड़के की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद-32 के तहत अर्जी दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि लड़की के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है उसे सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाए। चूंकि लड़की ने मुस्लिम धर्म अपनाकर उसके साथ निकाह किया है ऐसे में उन दोनों का अधिकार है कि वह पति-पत्नी की तरह रहें लिहाजा लड़की को उसके हवाले किया जाए।
याचिका में कहा गया है कि मुख्य सवाल यह है कि क्या अलग-अलग धर्म के लोग शादी करते हैं तो उन्हें साथ रहने से क्या रोका जा सकता है? याचिकाकर्ता की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया है वह और लड़की दोनों साथ-साथ भीमताल से बीबीए कर रहे थे। दोनों में प्यार हुआ और 18 अप्रैल को शादी के लिए दिल्ली आ गए। यहां लड़की ने धर्म बदलकर निकाह किया। अगले दिन 19 अप्रैल को निकाह गाजियाबाद में रजिस्टर्ड कराया गया।
इसी दौरान लड़की के घर वालों ने याचिकाकर्ता के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज कराया। इस मामले में याचिकाकर्ता और उसकी मां को गिरफ्तार किया गया। याचिकाकर्ता का कहना था कि दोनों पति-पत्नी हैं और उन्हें साथ रहने का अधिकार है। बिना अपराध के उसे जेल भेजा गया। वहीं सुनवाई के दौरान उत्तराखंड पुलिस की ओर से डिप्टी एडवोकेट जनरल मनोज गुरुकेला ने अदालत को बताया कि मामले में निकाहनामा और धर्म परिवर्तन से संबंधित दस्तावेज के साथ जालसाजी की गई है। लड़की ने बयान दिया था कि वह परिजन के साथ रहना चाहती है, तभी उसे उनके पास भेजा गया है।
बालिग लड़की अपने फैसले लेने को स्वतंत्र
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच के सामने एक अन्य मामले में परिजन ने कहा कि उनकी बेटी ड्राइवर के साथ भाग गई है, जबकि ड्राइवर शादीशुदा है और ऐसे में वह कैसे इस बात की इजाजत दे सकते हैं। इस मामले में तमाम पक्षकार मुस्लिम थे। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि लड़की की उम्र क्या है। कोर्ट को बताया गया कि मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक लड़की बालिग है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा लड़की बालिग है और वह उसकी मर्जी है कि जिसके साथ रहना चाहे रहे। वह अगर पहली या दूसरी पत्नी बनकर रहना चाहती है तो यह उसकी मर्जी है।