श्रीनगर। सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने घाटी में सक्रिय पत्थरबाजों को सख्त संदेश देते हुए कहा था कि उनकी आजादी की मांग कभी पूरी नहीं हो सकती। उन्होंने कश्मीर की आजादी को नामुमकिन बताया था। अलगाववादी गुट हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने इस पर पलटवार किया है। उदारवादी धड़े के प्रमुख मीरवायज उमर फारूक ने भारत की तुलना अंग्रेजों से कर डाली। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने भी कभी भारत की आजादी को लेकर यही बात कही थी, लेकिन आखिरकार उन्हें आजादी देना पड़ी थी।
मीरवायज ने कहा अखंड भारत पर 100 वर्षों से भी ज्यादा समय तक शासन करने, हजारों भारतीयों की हत्या करने और जालियांवाला बाग हत्याकांड जैसे नरसंहार को अंजाम देने वाले अंग्रेजों ने भारत को आजादी देने की बात कभी नहीं मानी थी। उन्होंने कहा आज के भारतीय सेना की तरह ही ब्रिटिश सेना के पास भी वे सभी साधन और तरीके थे, जिससे भारत पर कब्जा बरकरार रखा जा सके। लेकिन, आखिरकार उन्हें सत्ता छोड़नी पड़ी थी, क्योंकि जनता ने स्वतंत्र होने की ठान ली थी। अपना मुकद्दर चुनने और अपने भाग्य का खुद मालिक होने की आजादी किसी भी सैन्य शक्ति से कहीं ज्यादा मजबूत होती है।
सेना के जवानों की मौजूदगी पर भी सवाल
मीरवायज ने कश्मीर घाटी में व्यापक पैमाने पर सेना के जवानों की मौजूदगी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख को अपने राजनीतिक नेतृत्व से एक मौलिक सवाल पूछना चाहिए कि कश्मीर की गलियों और गांवों में इतनी बड़ी संख्या में जवानों को तैनात करने की आखिर क्या जरूरत है। लोग अपने सुनहरे भविष्य को छोडकर हथियार उठाने वाले युवाओं का समर्थन क्यों कर रहे हैं।