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तिरंगे में लपेटकर दफनाया गया मोर, पुलिस बोली- यह प्रोटोकॉल है

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 9 2018 11:59AM | Updated Date: May 9 2018 12:01PM
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नई दिल्ली। तिरंगे में शव लपेटे जाने का प्रोटोकॉल अब तक सिर्फ शहीद जवानों और देश की महान हस्तियों तक सीमित था लेकिन आपने किसी मोर को तिरंगे में लपेटकर दफनाए जाने की बात सुनी है? शुक्रवार को राजधानी में पुलिस ने एक मोर को लकड़ी के बक्से में दफनाने से पहले तिरंगे में लपेटा और इसे सही प्रक्रिया बताया, कहा कि सबकुछ प्रोटोकॉल के मुताबिक किया गया।पुलिस ने हाई कोर्ट के बाहर वाली सड़क से मोर को बचाया था लेकिन घायल मोर बच न सका और उसने दम तोड़ दिया। तिरंगे में लपेटकर उसे दफनाए जाने पर पुलिस ने कहा कि वह महज प्रोटोकॉल का पालन कर रही है क्योंकि मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है। 

तिलक मार्ग पुलिस स्टेशन के एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'हमने मोर को पूरा सम्मान दिया और राष्ट्रीय पक्षी होने के नाते उसे तिरंगे में लपेटकर दफनाया। यह एक प्रोटोकॉल है और हम भविष्य में भी ऐसा ही करेंगे अगर हमारी कस्टडी में कोई मोर आता है।' वहीं वन्यजीव कार्यकतार्ओं का कहना है कि मोर शेड्यूल-क पक्षी है, इसलिए यह नियमों का उलल्ंघन हो सकता है।

शुक्रवार को पुलिस को एक घायल मोर की सूचना मिली, जो हाई कोर्ट के गेट नंबर 5 के बाहर था। वहां पहुंचकर उसे चांदनी चौक के जैन बर्ड हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उसे मृत बतया गया। इसके बाद उसे जौनापुर के अस्पताल ले जाया गया जहां उसका पोस्टमॉर्टम हुआ और फॉरेस्ट अधिकारी के सामने उसे दफनाया गया। अधिकारी ने बताया, 'हम मौत की वजह नहीं जानते और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अगले सप्ताह मिलेगी, लेकिन ऐसा लगता है कि पेड़ से गिरने से मोर घायल हो गया था।
 
जैन हॉस्पिटल के मैनेजर सुनील जैन ने बताया कि उनके पास हर माह औसतन मोरों से जुड़े 10 मामले आते हैं, जिनमें से कुछ गर्मी के थपेड़ों, कुछ कुछ काटने तो कुछ ट्रैफिक के कारण मर जाते हैं।एक्सपर्ट्स का कहना है कि मोर को तिरंगे में लपेटना गलत है और पुलिसकर्मियों ने वन्यजीव कानून का उल्लंघन किया है। टीओआई से बातचीत में एक्सपर्ट्स ने कहा कि इस तरह का कोई प्रोटोकॉल नहीं है और यह गतिविधि वन्यजीव संरक्षण ऐक्ट, 1972 के उल्लंघन के दायरे में आ सकती है। इस ऐक्ट के तहत शेड्यूल-क जानवरों के शवों पर राज्य का अधिकार होता है और उनको जलाए जाने या दफनाने का अधिकार स्टेट फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पास होता है। 
 
नियमों के उल्लंघन की बात कहीं
ऐनिमल ऐक्टिविस्ट गौरी मौलेखी ने कहा कि उन्होंने पिछले महीने वन विभाग को एक पत्र लिखा था, जब जनकपुरी पुलिस स्टेशन में एक मृत मोर मिला था। मौलेखी ने कहा, 'यह वन्यजीव संरक्षण ऐक्ट का उल्लंघन है क्योंकि कोई एनजीओ या पुलिस मृत जानवर का पोस्टमॉर्टम नहीं करा सकती और न उसे दफना सकती है। ऐसे मामले वन विभाग को फॉरवर्ड किए जाते हैं और वही उनको दफनाना या जलाना सुनिश्चित करते हैं ताकि उनके अंगों की तस्करी न हो सके। मोरों के मामले में सही प्रोटोकॉल फॉलो नहीं किया जाता है और मैंने विभाग को लिखकर हर पुलिस स्टेशन को नियमों से अवगत कराने के लिए कहा है।' 

 

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