नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को मेघालय से विवादास्पद आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर्स ऐक्ट (अफस्पा) को पूरी तरह से हटा लिया। अरुणाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों से भी इस ऐक्ट को हटा दिया गया है। इस कानून के तहत सुरक्षाबलों को विशेष अधिकार मिलते हैं, जिसका काफी समय से विरोध किया जाता रहा है। सितंबर 2017 तक मेघालय के 40 प्रश क्षेत्र में अफस्पा लागू था। राज्य सरकारों से बातचीत के बाद यह फैसला लिया गया है।
सुरक्षा बलों का तर्क
सुरक्षा बलों का कहना है कि सबसे पहले 1958 में पूर्वोत्तर में विद्रोहियों से निपटने के लिए संसद की तरफ से लागू किया गया अफस्पा जवानों को जरूरी अधिकार देता है। उनके मुताबिक इस कानून की मदद से काफी खतरनाक स्थितियों में आतंकी या दूसरे खतरों से जूझ रहे जवानों को कार्रवाई में सहयोग मिलने के साथ-साथ सुरक्षा भी मिलती है।
यह है अफस्पा
अफस्पा सेना को जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के विवादित इलाकों में सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार देता है। इस ऐक्ट को लेकर काफी विवाद है और इसके दुरुपयोग का आरोप लगाकर लंबे समय से इसे हटाने की मांग की जाती रही है। अफस्पा का सेक्शन 4, सुरक्षा बलों को किसी भी परिसर की तलाशी लेने और बिना वॉरंट किसी को गिरफ्तार करने का अधिकार देता है। इसके तहत विवादित इलाकों में सुरक्षा बल किसी भी स्तर तक शक्ति का इस्तेमाल कर सकते हैं। संदेह होने की स्थिति उन्हें किसी गाड़ी को रोकने, तलाशी लेने और उसे सीज करने का अधिकार होता है।