नई दिल्ली। नीति आयोग ने लोकसभा और विधानसभाओं का एक 'निश्चित कार्यकाल' तय करने की वकालत की है। आयोग का कहना है कि अगर देशभर में एकसाथ चुनाव कराने हों तो उसकी खातिर 'इलेक्टोरल साइकिल बनाए रखने के लिए' लोकसभा और विधानसभाओं का कार्यकाल तय करना होगा। नीति आयोग ने इस संबंध में जो रिपोर्ट तैयार की है, उसे ईटी ने देखा है। इसमें आयोग ने मध्यावधि चुनाव से बचने के लिए लोकसभा और विधानसभाओं के कार्यकाल तय करने का सुझाव दिया है।
पिछले साल नीति आयोग को हालांकि कार्यकाल तय करने के प्रस्ताव में कुछ खास दम नहीं दिखा था। तब एक डिस्कशन पेपर में आयोग ने कहा था कि 'कार्यकाल तय करने का प्रस्ताव नहीं है।' अब हालांकि अपनी फाइनल रिपोर्ट में आयोग ने कार्यकाल तय करने की वकालत की है। आयोग ने कहा है कि भारत में जो वर्तमान व्यवस्था है, वह किसी सरकार या सदन के लिए कभी भी पांच साल के कार्यकाल की गारंटी नहीं दे सकती है।
आयोग ने रिपोर्ट में कहा है, 'इस तथ्य को देखते हुए कि भारत का संविधान लोकसभा और विधानसभाओं के लिए तय कार्यकाल की व्यवस्था नहीं करता है, अगर हम बिल्कुल नई शुरुआत करें और सभी चुनाव एक साथ कराएं तो भी आने वाले समय में कई चुनाव कराने की समस्या फिर पैदा हो जाएगी।'
रिपोर्ट पर सवाल
रिपोर्ट में सवाल किया गया है, 'एक साथ जब चुनाव शुरू हो जाएंगे, तब मध्यावधि चुनाव की जरूरत पड़ने पर क्या होगा...। वहीं, जब सत्ताधारी पार्टी या गठबंधन सरकार के बहुमत गंवाने पर क्या होगा।' इसमें इसका हल भी सुझाया गया है। इसमें कहा गया है कि लोकसभा और विधानसभा का कार्यकाल तय किया जा सकता है। इस मामले में ब्रिटेन की मिसाल दी गई है, जहां संसदीय कानून 2011 के जरिये संसद का एक कार्यकाल तय किया गया है, जिससे पहले चुनाव नहीं हो सकता।