नई दिल्ली। केन्द्रीय वन,पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री हर्षवर्द्धन ने विद्यार्थियों समेत देश के युवा वर्ग से पर्यावरण की रक्षा के लिए 'पर्यावरण दूत' के रूप में सामाजिक दायित्व निभाने का संकल्प लेने की सोमवार को अपील की। उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में छात्रों को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा है कि विद्यार्थी जब विश्वविद्यालय से अपनी डिग्री लेकर जाएँ तो अपने साथ समाज और राष्ट्र के विकास के लिए कोई सपना लेकर भी जरुर जाएँ। उन्होंने देश में बिगते पर्यारण पर चिंता व्यक्त करते हुए कि कार्पोरेट सामाजिक दायित्व और वैज्ञानिक सामाजिक दायित्व की तरह आज के युवक पर्यावरण सामाजिक दायित्व निभाने का संकल्प और ग्रीन अम्बेसडर (पर्यावरणदूत ) बने एवं अपने दैनिक जीवन में पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली अपनाये । उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय ने पर्यावरण की रक्षा के लिए 500 ऐसे कार्यों की सूची तैयार की है जिसे यदि वे अपने जीवन में अपनाये तो बिना किसी पैसे के पर्यावरण की रक्षा की जा सकती हैं।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की प्रथम महिला चांसलर एवं मिजोरम की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ,कुलपति डॉ तलत अहमद . प्रति कुलपति डॉ शाहिद अशरफ एवं कुल सचिव ए.पी सिद्दीकी भी मौजूद थे। समारोह में तीन हज़ार सात सौ तिरासी छात्रों को डिग्री ,चार सौ अठहत्तर छात्रों को डिप्लोमा तथा एक सौ पैंसठ छात्रों को स्वर्ण पदक प्रदान किये गए। डा हर्षवर्द्धन ने राष्ट्रीय आन्दोलन में जामिया के गौरवशाली इतिहास और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उसकी उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा ,'छात्रों से कहा कि आज जब विश्वविद्यालय छोड़ कर जा रहे हैं तो अपसे अनुरोध करता हूँ कि आप केवल डिग्री लेकर न जाएँ बल्कि अपने साथ अपने जीवन के कुछ सपने लेकर जरुर जाएँ तथा कुछ अतिरिक्त कार्य जरुर करें जिस से देश और समाज को फायदा हो एवं उसका विकास हो।
इस सम्बन्ध में उन्होंने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए अपने प्लस पोलियो अभियान की चर्चा की कि किसतरह उन्होंने देश में पोलियो उन्मूलन का सपना बीस साल में पूरा किया। पर्यावरण मंत्री ने छात्रों से हर्षवर्द्धन एप्प डाउनलोड करने की भी अपील की और कहा कि इस एप्प में पर्यारण संरक्षण की सभी जानकारियां दी गयीं हैं । उन्होंने ऐसे एप्प अजन्मे शिशुओं के लिए उसके माता -पिता को भी उपहार स्वरुप देने की अपील की ताकि वे जब वे बड़े हों तो पर्यावरण के प्रति सचेत रहें ।