गोपेश्वर। उत्तराखंड में गढवाल हिमालय की उंची पहाड़ियों पर स्थित प्रसिद्घ सिख धर्मस्थल श्री हेमकुंड साहिब के लिए इस बार पैदल यात्रा चार किलोमीटर कम हो गयी है। हेमकुंड साहिब के कपाट एक जून को श्रद्घालुओं के लिये खुल रहे हैं।
चमोली के जिलाधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि गोविन्दघाट से पुलना के बीच चार किलोमीटर का मोटर मार्ग बनने से श्री हेमकुंड की 22 किलोमीटर की पैदल दूरी अब घटकर 18 किलोमीटर रह गई है। उन्होंने बताया कि इस बार श्री हेमकुंड जाने वाले तीर्थयात्री पुलना तक मोटर से जा सकेंगे। वहां से आगे 18 किलोमीटर के पैदल रास्ते पर भी तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए बेहतर व्यवस्था की गई है।
जिलाधिकारी ने बताया कि रास्ते में आश्रय स्थलों में बैठने के लिए 500 से ज्यादा कुर्सिया लगायी गयी हैं। पर्यटन विभाग की ओर से चार स्थानों पर पर्यटन सुविधा केन्द्र भी तैयार किए जा रहे हैं। श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा गोविन्दघाट से 30 मई से शुरू होगी और पहली जून को धाम के कपाट खुलेंगे।
हालांकि, पुलना से आगे 18 किलोमीटर के पैदल रास्ते में घांघरिया और हेमकुंड के बीच अभी भी खतरनाक स्थिति बनी हुई है तथा चार किलोमीटर का रास्ता पूरी तरह ग्लेशियर से ढका है। इस बाबत पूछने पर जिलाधिकारी ने कहा कि ग्लेशियर को काट कर चार फुट चौड़ा रास्ता बनाने का काम पूरा हो गया है। सुरक्षा के समुचित प्रबंध किए जा रहे हैं।
तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए घांघरियां से गोविन्दघाट के बीच पुलिस बल तैनात की जा रही है। हिमस्खलन आदि के खतरे से बचाव के भी उपाय किए गए हैं। हेमकुंड साहिब हिमालय में सबसे उंचाई पर स्थित सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल है जहां हर साल लाखों की संख्या में देश-विदेश से तीर्थयात्री आते हैं।
लगभग 16,000 फुट की उंचाई पर स्थित हेमकुंड सरोवर के समीप इस तीर्थ में गुरू गोविन्द सिंह ने तपस्या की थी। शीतकाल में भारी बर्फ के कारण अक्टूबर से लेकर मई तक यहां के कपाट बन्द रहते हैं। रिषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर बदरीनाथ के समीप गोविन्दघाट से यहां के लिए पैदल यात्रा शुरू होती है। इस बार गोविन्दघाट से घांघरियां के लिए दो हेलीकॉप्टर कंपनियों ने हवाई सेवा देने की योजना बनायी है।