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SC ने कहा- ताजमहल के लिए शाहजहां के हस्ताक्षर लेकर आइए

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 11 2018 12:34PM | Updated Date: Apr 11 2018 12:34PM
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नई दिल्ली। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मंगलवार सुप्रीम कोर्ट में ताजमहल पर मालिकाना हक का दावा किया। ताजमहल पर हक को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड और भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के बीच विवाद चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड से मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा हस्ताक्षर वाला पेपर पेश किया।
 
कोर्ट ने शाहजहां की पत्नी मुमताज महल की याद में बनाए ताजमहल जुड़े हस्ताक्षर वाले दस्तावेज एक हफ्ते में पेश करने को कहा। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जुलाई 2005 में आदेश जारी कर ताज महल को अपनी संपत्ति के तौर पर रजिस्टर करने को कहा था। एएसआई ने इसके खिलाफ 2010 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
 
इस पर कोर्ट ने बोर्ड के फैसले पर स्टे लगा दिया था। सुपीम कोर्ट ने कहा कि मुगलकाल का अंत होने के साथ ही ताजमहल समेत अन्य ऐतिहासिक इमारतें अंग्रेजों को हस्तांतरित हो गई थी। आजादी के बाद से यह स्मारक सरकार के पास है और एएसआई इसकी देखभाल कर रहा है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने कहा, 'भारत में कौन विश्वास करेगा कि ताज महल वक्फ बोर्ड का है?
 
ऐसे ममालों पर सुप्रीम कोर्ट का वक्त बर्बाद नहीं करना चाहिए।' साथ ही चीफ जस्टिस ने पूछा, 'शाहजहां ने वक्फनामे पर दस्तखत कैसे किए? वह तो जेल में बंद थे। वह हिरासत से ही ताज महल देखते थे।' एएसआई की ओर से पेश वकील ने कहा कि वक्फ बोर्ड ने जैसा दावा किया है, वैसा कोई वक्फनामा नहीं है।
 
मुगलों का शासन खत्म होने के बाद बादशाह बहादुर शाह जफर से ली गई संपत्तियों का मालिकाना हक ब्रिटिश महारानी के पास चला गया था। वहीं, 1948 के कानून के तहत यह इमारतें अब भारत सरकार के पास हैं। गौर हो कि शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने जुलाई 1658 में उन्हें आगरा के किले में नजरबंद कर दिया था। अपनी बेगम मुमताज महल की याद में ताज महल बनवाने के करीब 18 साल बाद 1666 में शाहजहां का निधन आगरा के किले में ही हुआ था। वक्फ बोर्ड मुसलमानों से जुड़ी धार्मिक या शैक्षिक संपत्तियों की देखभाल करने वाली संस्था है।
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