नई दिल्ली। राज्यसभा में बजट सत्र के दूसरे चरण में विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे के कारण एक दिन भी सुचारू रूप से काम काज नहीं हुआ और सदन की कार्यवाही आज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। सभापति एम वेंकैया नायडू ने सत्र के अंतिम दिन विधायी दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाने के बाद कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी जिसके साथ ही संसद का बजट सत्र पूरा हो गया। बजट सत्र का पहला चरण 29 जनवरी से 9 फरवरी तक चला था।
पांच मार्च से शुरू हुए दूसरे चरण में कुल 22 बैठकें हुई लेकिन किसी भी दिन न तो प्रश्नकाल तथा न ही शून्यकाल हो पाया और ग्रेच्युटी भुगतान संशोधन विधेयक को छोड़कर कोई महत्वपूर्ण विधेयक पारित नहीं हो सका। पिछले पांच साल से लंबित भ्रष्टाचार निवारण संशोधन विधेयक पेश तो किया गया लेकिन दो दिन इसे लेकर हुए जबरदस्त हंगामे के कारण इसे पास नहीं कराया जा सका। यहां तक कि वित्त विधेयक पर भी चर्चा नहीं हो सकी। मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए लाये गये बहुचर्चित तीन तलाक विधेयक को सदन में पेश भी नहीं किया जा सका।
विपक्षी सदस्यों ने पहले दिन से ही बैंकों में घोटाले, आन्ध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने और कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन जैसे मुद्दों को लेकर हंगामा किया और सत्र के अंतिम दिन तक वे इन मुद्दों को लेकर सदन की कार्यवाही बाधित करते रहे। इस बीच अनुसचित जाति जनजाति कानून के संबंध में उच्चतम न्यायालय के फैसले और दलितों पर अत्याचार का मुद्दा भी छाया रहा। सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस सत्र में कोई काम काज नहीं होने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हंगामे के कारण 124 घंटे का समय बर्बाद हुआ और केवल 45 घंटे ही सदन की बैठक चली।