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2.41 लाख करोड़ की कर्जमाफी का मामले में घिरी कांग्रेस

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 6 2018 10:14AM | Updated Date: Apr 6 2018 10:14AM
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नई दिल्ली। बैंक लोन को राइट आॅफ व वेव आॅफ के बीच में एक बार फिर कांग्रेस पार्टी फंस गई है। जिससे यह सवाल पैदा हो गया है कि क्या कांग्रेस पार्टी को बैंकों द्वारा लोन की रकम राइट आॅफ करने और वेव आॅफ किए जाने का अंतर पता नहीं है? क्योंकि सरकार ने जब स्वीकार किया कि सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2014-15 से सितंबर 2017 तक 2.41 लाख करोड़ रुपए का लोन राइट आॅफ कर दिया है। इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी ने अपनी वेबसाइट पर लिखा कि सरकार ने उद्योगपतियों का 2.41 लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ कर दिया। हालांकि, लोग इसे मोदी सरकार को बदनाम करने की सोची-समझी चाल मान रहे हैं।
 
यह है हकीकत 
 
दरअसल, रीतब्रत बनर्जी के सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने राज्यसभा को बताया कि सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2014-15 से सितंबर 2017 के बीच 2,41,911 करोड़ रुपए का लोन राइट आॅफ किया है। इसकी जानकारी देते हुए स्पष्ट बताया गया कि नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट्स (फंसे लोन) का राइटिंग आॅफ करना (बट्टा खाता में डालना) एक सामान्य प्रक्रिया है जिसे बैंक अपनी बैलेंस शीट साफ करने के लिए अपनाते हैं।
 
शिव प्रताप शुक्ल ने अपने लिखित जवाब में बताया, 'टैक्स बेनिफिट और कैपिटल आॅप्टिमाइजेशन के लिए कर्जों एवं संबंधित मदों की रकम बट्टा खाते में डाली जाती है। ये लोन लेनेवालों पर कर्ज चुकाने का दायित्व बरकरार रहता है, कानूनी प्रक्रियाओं के तहत बकाया वसूली लगातार चलती रहती है।' जवाब में कहा गया है, 'इसलिए राइट-आॅफ से कर्जदारों को फायदा नहीं पहुंचता है।' इस लिखित जवाब के आखिरी पैरे में रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया ऐक्ट, 1934 के सेक्शन 45ए का हवाला देते हुए कहा गया है कि जिन कॉपोर्रेट्स के लोन राइट आॅफ किए गए, उनकी पहचान का खुलासा नहीं किया जा सकता।
 
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