नई दिल्ली। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) 'आधार' के जरिए गैर-कानूनी कमाई का पता लगाकर भ्रष्ट अधिकारियों की नकेल कसने की तैयारी कर रहा है। सीवीसी ने रविवार को कहा कि विभिन्न प्रकार के वित्तीय लेनदेन और संपत्ति सौदों के लिए आधार अनिवार्य है, ऐसे में इसका इस्तेमाल भ्रष्ट अधिकारियों की अवैध कमाई का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। इन सूचनाओं से पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति ने लेनदेन किस उद्देश्य से किया है।
इससे आय से अधिक संपत्ति का भी पता लगाया जा सकता है। पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में व्यक्तियों या आॅडिटरों की भूमिका जैसे मानवीय पहलुओं को देखने के बाद जांच में टेक्नॉलजी का इस्तेमाल हो। इसके लिए किसी तरह के सॉफ्टवेयर की तैयारियों, मानक परिचालन प्रक्रियाओं और संभवत: कुछ मंजूरियों की जरूरत होगी। इसकी तैयारी चल रही है। उम्मीद है कि किसी व्यक्ति के स्थायी खाता संख्या (पैन) और आधार कार्ड के जरिए यह जानने में मदद मिल सकती है कि कार्डधारक द्वारा किया गया वित्तीय सौदा उसकी आमदनी के दायरे में है या नहीं। केंद्रीय सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी ने कहा, 'हमने कॉन्सेप्ट पेपर तैयार किया है।
इसके पीछे विचार परिचालन प्रक्रिया बनाने या सॉफ्टवेयर तैयार करने का है। इससे यदि हम किसी क, ख या ग व्यक्ति की जांच का फैसला करते हैं तो हम अन्य विभागों के साथ बिना किसी अड़चन के संपर्क कर सकें और 'आधार' का इस्तेमाल कर आवश्यक जानकारी जुटा सकें।' अचल संपत्तियों और शेयरों से संबंधित आंकड़े इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट या फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) और अन्य सरकारी एजेंसियों के कार्यक्षेत्र में उपलब्ध हैं।