नई दिल्ली। पुणे की आनंदीबाई जोशी का व्यक्तित्व देश की उन महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत है, जो अपने सपने को साकार होते देखना चाहती हैं। 31 मार्च 1865 को पुणे शहर में जन्मी आनंदी जोशी पहली भारतीय महिला थीं, जिन्होंने उस दौर में डॉक्टरी की डिग्री हासिल की, जब महिलाओं के लिए शिक्षा भी दूभर थी। ऐसे समय में विदेश जाकर डॉक्टरी की पढ़ाई कर डिग्री हासिल करना एक मिसाल है। सर्च इंजन गूगल ने आनंदी जोशी पर अपना डूडल बनाकर देश की इस महान शख्सियत को सम्मान दिया है।
आनंदी जोशी का विवाह नौ साल की अल्पायु में करीब 20 साल बड़े गोपालराव से हुआ था। 14 साल की उम्र में वे मां बनीं और उनकी एकमात्र संतान की मृत्यु दस दिन में ही गई, जिससे उन्हें बहुत गहरा आघात लगा। अपनी संतान को खो देने के बाद उन्होंने प्रण किया कि वे एक दिन डॉक्टर बनेंगी और ऐसी असमय मौत को रोकने का प्रयास करेंगी।
उनके इस सपने को साकार करने में पति गोपालराव ने भी भरपूर सहयोग किया और हौसलाअफजाई की। डिग्री पूरी करने के बाद जब आनंदीबाई भारत लौटीं, लेकिन 22 वर्ष की अल्पायु में ही मृत्यु हो गई। यह सच है कि आनंदीबाई ने जिस उद्देश्य से डॉक्टरी की डिग्री ली थी, उसमें वह पूरी तरह सफल नहीं हो पाईं, लेकिन उन्होंने समाज में वह मुकाम हासिल किया, जो आज भी एक मिसाल है।