नई दिल्ली। देश का पहला छह लेन का अत्याधुनिक एक्सप्रेस-वे 29 अप्रैल से लोगों के लिए शुरू हो जाएगा। 135 किमी लम्बा एक्सप्रेस-वे निर्धारित समय से पहले पूरा किया गया है। ईस्टर्न पैरिफेरल एक्सप्रेस-वे से शुरू होने से दिल्ली पर पड़ने वाला भारी वाहनों का दबाव कम हो जाएगा। इस एक्सप्रेस-वे पर यातायात नियंत्रण लंदन जैसा व्यवस्थित होगा। इसके साथ 14 लेन के बन रहे दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के पहले चरण का काम पूरा हो गया है, इसे भी शुरू किया जा रहा है।
इन दोनों एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इनका शिलान्यास भी मोदी द्वारा ही किया गया था। केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इसे चुनौती के रूप में लिया और जो समय निर्धारित किया गया था, उससे पहले काम को पूरा कराकर नया रिकार्ड बनाया है। इस एक्सप्रेस-वे को बनाने के लिए 910 दिनों लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसे 500 दिनों के रिकार्ड समय में पूरा किया गया है। हालांकि इन दोनों एक्सप्रेस-वे के निर्माण में कई तरह की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा। ईस्टर्न पैरिफेरल और दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे काम लम्बें समय तक इसलिए शुरू नहीं हो पाया, क्योंकि ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से अडंगा लगा दिया गया था।
किसी तरह वह मामला सुलझा तब जाकर काम प्रारंभ हो सका। ईस्टर्न पैरिफेरल एक्सप्रेस-वे कुंडली (एनएच-1) से शुरू होकर यमुना नदी को पार करते हुए मवीकलां (एसएच-57) होते हुए दुहाई (एनएच-58) होकर डासना (एनएच-24) से बील अकबरपुर (एनएच-91) को जोड़ते हुए कासना-सिकंदरा रोड (सिरसा) से गांव फैजपुर खादर (हरियाणा) में यमुना पार कर अटाली-चासना रोड से होते हुए पलवल (एनएच-02) में जुड़ेगा। इस एक्सप्रेस-वे के शुरू होने से राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, उप्र, उत्तराखंड से आने-जाने वाले वाहनों को अब दिल्ली शहर के अंदर से नहीं जाना पड़ेगा।
यह देश का पहला ऐसा एक्सप्रेस-वे है, जहां राजमार्ग यातायात प्रबंधन प्रणाली (एचटीएमएस) से लैस किया गया है, जिसमें व्हेरिएबल मेसेज साइन्स (वीएमएस) सीसीटीवी, वीडियो इंसिडेंट डिटेक्शन सिस्टम (वीआईडीएस), चेतावनी उपकरण, स्पीड चेकिंग सिस्टम, वजन मापने वाली मशीन, फुटपाथ मैनेजमेंट सिस्टम और फाइबर आॅप्टिक नेटवर्क लगाया गया है। इन सभी जानकारी को नियंत्रित करने के लिए नियंत्रण कक्ष में सेंट्रल सर्वर लगया गया है। किसी भी तरह की अप्रत्याशित घटना होने पर अलार्म ट्रिगर दब जाएगा और वीएमएस संदेश बदल देगा।
पूरे एक्सप्रेस-वे पर लाईट के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग किया गया है। एक्सप्रेस-वे में 2.5 लाख वृक्ष लगाए गए हैं, जिनकी सिंचाई ड्रिप से होगी। एक्सप्रेस-वे निर्माण पर 4.5 करोड़ क्यूबिक मी। मिट्टी इस्तेमाल हुई है, जिसमें से 1।5 करोड़ क्यूबिक मी। फ्लाई ऐश का इस्तेमाल किया गया है। 20,000 ट्रकों ने प्रतिदिन मिट्टी की ढुलाई का काम किया। पांच लाख टन सीमेंट का उपयोग किया गया है। जिसमें काम के हिसाब से एक दिन में 1 लाख से अधिक सीमेंट बैग की खपत हुई है।
एक्सप्रेस-वे में छह स्थानों पेट्रोल पंप, मोटल, विश्राम गृह, बाशरूम, रेस्टोरेंट, दुकान, वाहन रिपेयरिंग सेंटर की सुविधा होगी। एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ प्रत्येक 500 मीटर की दूरी पर वर्षा जल संचयन बनाया गया है।
जाम से मिलेगी मुक्ति
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के पहले चरण का काम पूरा हो गया है। निजामुद्दीन से उप्र सीमा तक दस किमी तक का मार्ग बन जाने से 29 अप्रैल को इसे भी आम लोगों के लिए चालू कर दिया जाएगा। 14 लेन के इस एक्सप्रेस-वे के उप्र सीमा तक मार्ग शुरू हो जाने से नोयडा, गाजियाबाद से आने वाले लाखों लोगों को बहुत राहत मिलेगी। इन क्षेत्रों से प्रतिदिन 50 हजार से ज्यादा वाहन दिल्ली आते हैं, जिसकी वजह से सुबह से जाम लग जाता है, जो उनकी वापसी के समय रात 10 बजे तक लगा रहता है। इस मार्ग के खुलने से लोगों को जाम से राहत मिलने लगेगी।