नई दिल्ली। केन्द्र सरकार के साथ तल्ख रिश्तों के चलते पद से हटाए जाने की अटकलों के बीच सुप्रीम कोर्ट का रूख करने वाले मिजोरम के राज्यपाल अजीज कुरैशी को उनके पद से हटा दिया गया है। राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी एक संक्षिप्त वक्तव्य में कहा गया, ‘‘कुरैशी के मिजोरम के राज्यपाल का पद संभालने पर रोक लगाई जाती है।’’ विज्ञप्ति के अनुसार, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी को नियमित व्यवस्था होने तक अपनी जिम्मेदारियों के साथ ही मिजोरम के राज्यपाल का कामकाज भी संभालने को कहा गया है। कुरैशी का कार्यकाल मई 2017 तक था। कमला बेनीवाल के बाद कुरैशी दूसरे राज्यपाल हैं, जिन्हें नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद उनके पद से हटाया गया है। उन्हें कुछ ही महीने पहले मिजोरम का राज्यपाल बनाया गया था। महाराष्ट्र के राज्यपाल के शंकरनारायणन, जिन्हें मिजोरम स्थानांतरित किया गया था, ने अपना नया पदभार संभालने से इंकार करते हुए इस्तीफा दे दिया था।
कुरैशी, उन राज्यपालों में शामिल थे, जिन्हें संप्रग सरकार द्वारा नियुक्त किया गया था। तत्कालीन गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने उनसे सरकार बदलने के बाद पद छोड़ने को कहा तो उन्होंने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उस समय वह उत्तराखंड के राज्यपाल थे।
अपनी याचिका में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुरैशी ने दावा किया था कि राजग सरकार के सत्ता में आने के बाद गोस्वामी ने 30 जुलाई को उन्हें फोन किया और इस्तीफा देने को कहा और यह भी कहा कि अगर वह पद नहीं छोड़ेंगे तो उन्हें हटा दिया जाएगा। कुरैशी ने आरोप लगाया था कि गोस्वामी ने 8 अगस्त को उन्हें दोबारा फोन किया और उनसे इस्तीफा देने को कहा।
नयी सरकार के सत्ता संभालने के बाद पिछली संप्रग सरकार द्वारा नियुक्त कई राज्यपालों को हटाया गया, जिनमें 87 वर्षीय बेनीवाल शामिल हैं, जो पहले गुजरात की राज्यपाल रही हैं और नरेन्द्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री पर रहते दोनों के रिश्ते अच्छे नहीं थे। पूर्व कांग्रेस नेता वीरेन्द्र कटारिया को पुडुचेरी के उपराज्यपाल पद से हटा दिया गया था।
अन्य राज्यपालों में एम के नारायणन (पश्चिम बंगाल), अश्विनी कुमार (नगालैंड), बी एल जोशी (उत्तर प्रदेश), शेखर दत्त (छत्तीसगढ़) और बी वी वांछू (गोवा) केन्द्रीय गृह सचिव का फोन आने के बाद अपने इस्तीफे दे चुके हैं।