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राष्‍ट्रपति भवन के किचन में अब बनता है कम खाना

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 28 2018 10:03AM | Updated Date: Mar 28 2018 10:03AM
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नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को देश का सर्वोच्च पद संभाले 8 महीने पूरे हो चुके हैं। ऐसा लगता है, इस दौरान उनका ध्यान राष्ट्रपति भवन के खर्च कम करने पर रहा है। वह महात्मा गांधी के सूत्र-वाक्य सादा जीवन, उच्च विचार के मार्ग पर चलते नजर आते हैं। बतौर देश के प्रथम नागरिक, कोविंद ने राष्ट्रपति भवन के अनावश्यक खर्च पर लगाम कसी है। सूत्रों के अनुसार, 25 जुलाई, 2017 को राष्ट्रपति बनने के बाद ही कोविंद ने कई तरह के जलपान व व्यंजनों के बनने पर रोक लगा दी।
 
हर दिन पांच की जगह बन रहे हैं दो व्यंजन
 
इससे पहले राष्ट्रपति भवन में मेहमानों व अफसरों के लिए रोज 5 तरह का नाश्ता व व्यंजन बनाए जाते थे। इनमें से अधिकतर खाद्य पदार्थ रोज बर्बाद हो रहे थे। इस बात पर ध्यान देते हुए कोविंद ने अब व्यंजनों की संख्या घटाकर सिर्फ दो कर दी है। इसके अलावा राष्ट्रपति भवन की सज्जा पर लगने वाले फूलों की संख्या पर भी कोविंद ने नियंत्रण किया है।
 
पहले मुख्य भवन व अंदर के कमरों व हॉल को फूलों से सजाया जाता था। अब कोविंद ने इसकी जरूरत न्यूनतम कर दी है। कोविंद देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने के बाद कई मौकों पर नागरिकों को राष्ट्रपति भवन आने का न्योता दे चुके हैं। दिल्ली के रायसीना हिल्स स्थित 340 कमरों वाली ये ऐतिहासिक इमारत दुनिया के राष्ट्राध्यक्षों को मिले आवास में सबसे बड़ी है।
 
मुगल गार्डन दुनियाभर में मशहूर
 
कोविंद से पहले राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी ने भी राष्ट्रपति भवन के दरवाजों को आम जनता के लिए खोल दिया था। राष्ट्रपति भवन का मुगल गार्डन अपनी जैव-विविधता और पुष्प सौंदर्य के लिए दुनिया भर में मशहूर है। इस बगीचे को साल भर में सिर्फ एक बार, फरवरी माह में खोला जाता है। आजादी से पहले, राष्ट्रपति भवन को वायसराय हाउस के नाम से जाना जाता था। तब इसमें भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल रहते थे।
 
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