नई दिल्ली। केंद्र सरकार के खजाना भरने की कवायद शत्रुओं द्वारा किए जाने की खबर है। केंद्र सरकार ने अपने खजाने की हालात को सुधारने के लिए 9,400 से अधिक शत्रु संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू की है। इसके जरिए सरकार अपने खजाने में करीब एक लाख करोड़ रुपए जुटा सकती है। सरकार ने इस संबंध में दिशानिर्देश गृह मंत्रालय ने इस संबंध में जिला स्तर पर मूल्यांकन समितियां गठित की है जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी करेंगे। इसके साथ ही एक अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में अंतर-मंत्रिस्तरीय निस्तारण समिति भी गठित की गई हैं जिससे प्रक्रिया को समयसीमा में पूरा किया जा सके। यह कदम शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं वैधीकरण) अधिनियम, 2017 और शत्रु संपत्ति (संशोधन) नियम, 2018 में संशोधन के बाद उठाया गया है।
यह है शत्रु संपत्ति का नियम
संशोधन के बाद प्रावधान किया गया है कि भारत के विभाजन के दौरान या उसके बाद पाकिस्तान या चीन चले गए लोगों के वंशज भारत में छूट गई संपत्तियों पर कोई दावा नहीं कर सकते हैं। पाकिस्तान या चीन की नागरिकता लेने वाले लोगों की जो संपत्तियां देश में रह गई हैं उन्हें शत्रु संपत्ति कहा जाता है। पाकिस्तान गए लोगों की देश में ऐसी 9,280 संपत्तियां हैं और चीन गए लोगों से संबंधित 126 शत्रु संपत्तियां हैं। इन सभी संपत्तियों को भारत के शत्रु संपत्ति संरक्षक के अधीन रखा गया है। गृह मंत्रालय ने कहा कि संरक्षण कार्यालय को ऐसी सारी संपत्तियों की सूची केंद्र सरकार को सौंपनी होंगी।
यूपी में सर्वाधिक संपत्तियां
पाकिस्तान गए लोगों से संबंधित 9,280 शत्रु संपत्तियों में उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 4,991 संपत्तियां हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 2,735 और दिल्ली में 487 संपत्तियां हैं। चीन गए लोगों से संबंधित 126 शत्रु संपत्तियों में मेघालय में 57 और पश्चिम बंगाल में 29 संपत्तियां हैं। असम में ऐसी सात संपत्तियां हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने राज्य सभा को इससे पहले बताया था, 'सभी शत्रु संपत्तियों की अनुमानित कीमत करीब एक लाख करोड़ रुपए है।'