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समिति ने बताए हिंसा में लिप्त कश्मीरी युवकों से निपटने का रास्ता

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 22 2018 5:37PM | Updated Date: Mar 22 2018 5:37PM
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नई दिल्ली। संसद की एक समिति ने जम्मू कश्मीर में युवकों और बच्चों के ंिहसा की घटनाओं में शामिल होने पर चिंता जताते हुए इस मुद्दे से सावधानीपूर्वक निपटने की जरूरत बताई है। संसद की प्राक्कलन समिति ने 'केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल एवं आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियां 'से सम्बन्धित रिपोर्ट में कहा है कि जम्मू कश्मीर में युवकों एवं बच्चों के हिंसा में शामिल होने की स्थितियां खतरनाक हैं। समिति ने घाटी में स्थिति की गंभीरता को भांपने में खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा बलों के कामकाज पर भी सवाल उठाया है। समिति ने हिंसा की घटनाओं में शामिल युवकों को मुख्यधारा में लाने के लिए उनके साथ तत्काल संपर्क बढाने की जरूरत बताते हुए कहा  है कि इन मामलों से निहायत ही सावधानी बरतने की जरूरत है।

इन युवकों की कुशल लोगों से काउंसलिंग कराई जानी चाहिए ताकि वे हिंसक गतिविधियों में शामिल न हों। समिति ने युवकों के कौशल विकास तथा रोजगार के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार की ओर से शुरू की गयी 'उडान' और 'हिमायत' जैसी योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि ये सही उद्देश्य से शुरू की गईं थीं लेकिन इनका क्या असर हुआ इसका आकलन करने की जरूरत है। उसने युवकों को रोजगार देने के लिए सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी एजेंसियों को खासकर सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों को ठेके पर रखने का सुझाव दिया। इसके लिए पीएसयू तथा अन्य संगठनों से बातचीत की जाना चाहिए।  समिति ने सिफारिश की कि सामाजिक एवं राजनीतिक अशांति की समस्या का पता लगाने के लिए अशांत एवं सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के सामाजिक ताने-बाने तथा सांस्कृतिक परिवेश का अध्ययन कराया जाना चाहिए। इसके लिए नामचीन विश्वविद्यालयों और संस्थाओं की सेवाएं ली जाना चाहिए।

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