नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका को लेकर बुधवार को सुनवाई हुई। याचिका में दोषी करार दिए गए नेताओं को राजनीतिक दलों में अहम पद संभालने पर रोक लगाने की मांग की गई है। वहीं केंद्र सरकार ने राजनीतिक मामले में सुप्रीम कोर्ट के दखल के खिलाफ अपनी राय व्यक्त की है। सरकार का कहना है कि मौजूदा कानून में संशोधन के लिए सरकार को अदालत बाध्य नहीं कर सकती है।
केंद्र सरकार के अनुसार न्यायपालिका विधायिका को निर्देश जारी नहीं कर सकती। केंद्र का यह भी कहना है कि चुनाव आयोग के पास ऐसी शक्तियां नहीं हैं कि वो किसी ऐसे राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द कर सके, जिस दल के नेता प्रमुख दोषी साबित हो चुके हों। केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट में यह भी कहा गया है कि चुनाव सुधार लंबी और जटिल प्रक्रिया है।