नई दिल्ली। इराक में मारे गए भारतीयों के शव अवशेष वापसी के लिए केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह विशेष विमान से जाएंगे। अभी तक की योजना यह है कि जनरल सिंह जिस जहाज से शव अवशेषों को लाएंगे, उसे सबसे पहले अमृतसर लाया जाएगा और वहां 27 शव अवशेषों को उनके परिवार को सौंपा जाएगा। इसके बाद पटना (बिहार) और कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में वहां के नागरिकों के शव अवशेष सौंपे जाएंगे।
अमृतसर में दो लोगों के परिजन ने किया एअरपोर्ट पर इंतजार
मारे गए दो लोगों के परिजन बुधवार को पंजाब के अमृतसर एअरपोर्ट पर उनके शव मिलने के इंतजार में थे। शहीद भगत सिंह नगर डीएम की तरफ से मंगलवार रात को ही यह आदेश जारी किया गया है कि 10 बजे की फ्लाइट से परमिंदर सिंह और जसवीर सिंह के शव के अवशेष लाए जा रहे हैं, जबकि खुद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज स्पष्ट कर चुकी हैं कि चार-पांच दिन लगेंगे, क्योंकि कुछ प्रक्रियाएं पूरी होना हैं।
हत्या कब हुई, यह भी पक्के तौर पर नहीं पता
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की तरफ से इराक में अगवा भारतीयों की मौत पर विस्तृत बयान और प्रेस कांफ्रेंस के बावजूद इस पूरे प्रकरण से जुड़े कई ऐसे मुद्दे हैं जिनका जवाब नहीं मिल पाया है। मसलन, भारत सरकार को इनकी मौत के बारे में पहली बार ठोस जानकारी कब मिली? क्या आईएस की तरफ से भारतीय अधिकारियों से फिरौती लेने के लिए कभी संपर्क साधा गया था? इन भारतीयों की हत्या कब हुई? क्या इनके हत्यारों को कभी सजा भी दिलाई जा सकेगी? अगवा भारतीयों में से बचकर आए हरजीत मसीह की बातों पर क्यों भरोसा नहीं किया गया? विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी इनमें से अधिकांश सवालों का सीधा जवाब नहीं दिया।
जिन हिस्सों से शव मिले वह आईएस के कब्जे में
इराक के जिस हिस्से में ये शव मिले हैं वह आतंकी संगठन आईएस के कब्जे में था। आईएस को वहां से जून, 2017 में भगाया गया था। उसके बाद ही भारत सरकार की पहुंच हो सकी। अगवा भारतीयों में से बचकर आए हरजीत मसीह की बातों पर भरोसे के बारे में स्वराज का कहना है कि सरकार बगैर ठोस सबूत के कोई दावा नहीं कर सकती। मसीह एक व्यक्ति है, वह दावा कर सकता है कि किसी की हत्या हुई है, लेकिन सरकार सबूत के आधार पर ही यह दावा कर सकती है।