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वैज्ञानिक, चिकित्सक और इंजीनियरों को मंत्रीजी ने दी यह सलाह

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 20 2018 1:33PM | Updated Date: Mar 20 2018 1:33PM
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नई दिल्ली। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने सोमवार को कहा कि देश की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और इंजीनियरों को मिलकर काम करने की जरूरत है। डॉ. हर्षवर्द्धन ने जैवप्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान परिषद् (बीआईआरएसी) की छठी वर्षगांठ के मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुये यह बात कही। उन्होंने कहा वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और इंजीनियरों में संवाद बढ़ाने की जरूरत है। यह एकाध कार्यशालाओं या सम्मेलनों तक सीमित न रहे। ऐसा मॉडल बनाया जाये जिसमें वे नियमित रूप से एक-दूसरे के संपर्क में रहें और मिलकर काम करें। बीआईआरसीए जैवप्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान, तकनीकों के विकास और उन्हें बाजार तक पहुंचाने में उद्योगों तथा नवाचारियों की मदद करता है। यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत काम करता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश की आजादी के 70 साल के बाद भी कई ऐसी समस्याएं हैं जिनका समाधान अभी नहीं निकल सका है। उन्होंने बीआईआरसीए से ऐसी समस्याओं की सूची तैयार कर उन पर काम करने के लिए कहा है जिनका समाधान जैव प्रौद्योगिकी के दायरे में है। उन्होंने जमीनी स्तर के नवाचारियों को भी इस प्रक्रिया का हिस्सा बनाने की अपील की और कहा कि औपचारिक रूप से अनुसंधान के क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिकों के संपर्क में आने से उनके नवाचार को बाजार तक पहुँचाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि समाधान कहीं से भी आ सकता है, जरूरी नहीं कि वह वैज्ञानिक के दिमाग की ही उपज हो। 

 
कार्यक्रम में यह भी थे मौजूद
डॉ. हर्षवर्द्धन ने वर्ष 2022 तक 'न्यू इंडिया' का सपना साकार करने के लिए वैज्ञानिकों से पहलकारी और लीक से हटकर तथा दूरदर्शिता के साथ काम करने का आह्वान किया और भरोसा दिलाया कि अनुसंधान एवं विकास के लिए पैसे की कमी नहीं आने दी जायेगी।  इस अवसर पर बीआईआरसीए से जुड़े कुछ नवाचारियों एवं उद्यमियों को सम्मानित भी किया गया। समारोह में जाने-माने वैज्ञानिक प्रो. जी. पद्मनाभम्, नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद पॉल, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा और बीआईआरसीए की प्रबंध निदेशक डॉ. रेणु स्वरूप भी मौजूद थीं।
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