अजमेर। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को नफरत छोड़ना होगी तभी दोनों मुल्कों के बीच शांति वार्ता संभव है।
अब्दुल्ला ने अजमेर की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान पत्रकारों से बातचीत में कहा कि किसी भी मसले का हल युद्ध नहीं है। यदि युद्ध होता है तो दोनों मुल्कों की 70 साल की तरक्की मिट जाएगी। दोनों मुल्कों को अमन से रहकर अपनी-अपनी तरक्की करनी होगी। शांति वार्ता के सवाल पर उन्होंने कहा कि वार्ता से भी शांति के रास्ते खुलेंगे। उन्होंने कहा कि कश्मीर में बॉर्डर लाइन की लड़ाई है, सरहद पर फैसला दोनों मुल्कों को करना है। आज के हालातों में दोनों तरफ का नुकसान हो रहा है, जानें जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी वजीरे आजम रहे तब उन्होंने शांति के बेहत्तर प्रयास किए। वे कहा भी करते थे कि,"दोस्त बदले जा सकते हैं,लेकिन पड़ोसी नहीं बदले जा सकते।" घाटी में शांति की वकालत करते हुए उन्होंने किसी एक को पहल करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कला किसी एक धर्म की नहीं है, कला कला है उसे उजागर करना हमारा फर्ज है। दोनों मुल्कों के कलाकारों द्वारा फिल्में बनाना नाज की बात है। इससे रिश्ते बढ़ते हैं कमजोर नहीं होते।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने महबूबा मुफ्ती की सरकार पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि गठजोड़ चल नहीं रहा है। कोई भी साउथपोल-नॉर्थपोल कैसे मिला सकता है। महबूबा कश्मीर के हालात अच्छे होने की बात कहकर आवाम को भ्रमित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर के हालात ठीक नहीं है वहां अमन की जरुरत है और इसीलिए वे ख्वाजा के दर पर सूबे सहित पूरे मुल्क में अमन चैन खुशहाली की दुआ करने आए हैं। इससे पहले आज जुम्मे व ख्वाजा साहब की छठी के मौके पर फारुख अब्दुल्ला ने तड़के पांच बजे दरगाह शरीफ पहुंचकर संदली मस्जिद में नमाज अदा करी और कश्मीर सहित पूरे मूल्क के लिए अमनो अमान व खुशहाली की दुआ की।