नई दिल्ली। ट्रिपल तलाक बिल लोकसभा में गुरुवार को बिना किसी संशोधन के पास हुआ। बिल का सबसे पहले विरोध करने वालों में असदुद्दीन ओवैसी शामिल थे। उनके तीन संशोधन वोटिंग के दौरान संसद में खारिज हो गए। इससे पहले कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह बिल महिलाओं की गरिमा की हिफाजत के लिए है। शरीयत में कोई दखल नहीं है। उन्होंने कहा- अगर देश की मुस्लिम महिलाओं के लिए खड़ा होना अपराध है, तो ये हम 10 बार करेंगे। कांग्रेस ने कहा कि वो लोकसभा में बिल को सपोर्ट करेगी, लेकिन इसमें शामिल क्रिमिनल प्रोविजंस पर सवाल भी उठाएगी। उसने इसे स्टैंडिंग कमेटी को भेजने की अपील की। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी दलों से इस पर एकजुटता दिखाने की अपील की। मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने बिल में 3 संशोधन रखे। पहले दोनों संशोधन ध्वनिमत फिर वोटिंग के वक्त खारिज हो गए। दोनों संशोधन के पक्ष में उन्हें सिर्फ दो-दो वोट मिले। इसके बाद तीसरे संशोधन में ओवैसी को केवल 1 वोट मिला। लोकसभा में बिल पास होने के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "इससे मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ नहीं मिलेगा। ये बिल शादियों को तोड़ने के लिए है। इस बिल के जरिए मुसलमानों को टारगेट किया जाएगा।
रविशंकर प्रसाद ने इस्लामिक देशों के कानूनों का हवाला दिया
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, मैं बांग्लादेशी कानून का क्लॉज 7 पढ़ रहा हूं। कोई भी शख्स जो अपनी पत्नी को तलाक देना चाहता है, वो तलाक के किसी भी तरीके के इस्तेमाल के बाद चेयरमैन को लिखित में इसके बारे में बताएगा। इसकी एक कॉपी उसकी पत्नी को दी जाएगी। इसका उल्लंघन करने वाले को एक साल तक जेल और जुमार्ने या जेल के साथ जुमार्ने की सजा दी जा सकती है।" प्रसाद ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवादी देश है, ये हम सभी जानते हैं। लेकिन, यहां कुछ लोग हैं जो पाकिस्तान से प्रभावित होते हैं इसलिए मै वहां का कानून भी बता रहा हूं। उन्होंने कहा, "कोई भी शख्स जो अपनी पत्नी को तलाक देना चाहता है। किसी भी तरह का तलाक देने के बाद ऐसा करने की लिखित में सूचना देगा और इसकी एक कॉपी पत्नी को भी उपलब्ध कराएगा। ऐसा ना करने पर जुमार्ना या एक साल की जेल या फिर जेल के साथ 5000 रुपए का जुमार्ना भी भरना पड़ सकता है।" कानून मंत्री ने कहा, अफगानिस्तान, ट्यूनीशिया, तुर्की, मोरक्को, इंडोनेशिया, इजिप्ट, श्रीलंका, ईरान ने ट्रिपल तलाक को बैन कर रखा है।
इतना सख्त कि जमानत भी नहीं मिलेगी
मसौदे के मुताबिक, एक बार में तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत किसी भी तौर पर गैरकानूनी ही होगा। जिसमें बोलकर या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (यानी वॉट्सऐप, ईमेल, एसएमएस) के जरिये भी एक बार में तीन तलाक देना शामिल ।ऑफिशियल्स के मुताबिक, हजार्ना और बच्चों की कस्टडी महिला को देने का प्रॉविजन इसलिए रखा गया है, ताकि महिला को घर छोड़ने के साथ ही कानूनी तौर पर सिक्युरिटी हासिल हो सके। इस मामले मेंआरोपी को जमानत भी नहीं मिल सकेगी। देश में पिछले एक साल से तीन तलाक के मुद्दे पर छिड़ी बहस और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ने इस बिल का मसौदा तैयार किया। सुप्रीम कोर्ट पहले ही तीन तलाक को बुनियादी हक के खिलाफ और गैरकानूनी बता चुका है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का ये कहना है
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने केंद्र सरकार के तीन तलाक बिल को महिलाओं के हक के खिलाफ बताया है। साथ ही दावा किया कि इससे कई परिवार बर्बाद हो जाएंगे।बोर्ड ने कहा कि यह मुस्लिम पुरुषों से तलाक का हक छीनने की बहुत बड़ी साजिश है। बिल को गैर कानूनी बताते हुए बोर्ड ने सरकार से इसे वापस लेने की अपील की है। महिला बोर्ड की चेयरपर्सन शाइस्ता अंबर का कहना है कि निकाह एक कॉन्ट्रैक्ट होता है। जो भी इसे तोड़े, उसे सजा मिलनी चाहिए। हालांकि, अगर बिल कुरान और संविधान केमुताबिक नहीं है तो कोई भी मुस्लिम महिला इसे मंजूर नहीं करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये कहा
नरेंद्र मोदी ने कहा- यह बिल महिला से भेदभाव खत्म करने, उन्हें सुरक्षा और सम्मान देने के लिए है। इस बिल को द मुस्लिम वुमन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज नाम दिया गया है।" बता दें कि बिल को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अगुआई में इंटर-मिनिस्टिरियल ग्रुप ने तैयार किया है। इसके तहत 'तलाक-ए-बिद्दत' को गैरकानूनी बताया गया है। फिर चाहे वह बोलकर दिया गया हो, ईमेल से दिया गया हो या एसएमएस-वॉट्सऐप से दिया गया हो।