नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने राजहरा नॉर्थ कोयला ब्लॉक आवंटन में भ्रष्टाचार के दोषी करार दिए गए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और पूर्व कोयला सचिव एच.सी. गुप्ता को तीन-तीन वर्ष की कैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोड़ा पर 25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने बुधवार को कोड़ा, गुप्ता, राज्य के पूर्व मुख्य सचिव ए.के. बसु और अन्य को कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में आपराधिक साजिश तथा भ्रष्टाचार का दोषी करार देते हुये फैसला आज के लिए सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई ने दिसंबर 2014 में विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (वीआईएसयूएल) के पक्ष में कोयला ब्लॉक आवंटन में भ्रष्टाचार को लेकर कोड़ा और तीन अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था।
ये हैं सीबीआई के आरोप :
सीबीआई के अनुसार वीआईएसयूएल ने आठ जनवरी 2007 को राजहरा नॉर्थ कोल ब्लॉक के लिए आवेदन किया था। झारखंड सरकार और इस्पात मंत्रालय ने कंपनी को कोल ब्लॉक आवंटित नहीं करने की अनुशंसा की थी, लेकिन तत्कालीन कोयला सचिव एचसी गुप्ता और झारखंड के तत्कालीन मुख्य सचिव अशोक कुमार बसु की सदस्यता वाली 36वीं स्क्रीनिंग कमेटी ने अपने स्तर पर ही इस ब्लॉक को आवंटित करने की सिफारिश कर दी।
इसी को आधार बनाकर बाद में झारखंड की तत्कालीन मधु कोड़ा सरकार ने इस कोल ब्लॉक को कंपनी को आवंटित कर दिया। उस समय एचसी गुप्ता ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी अंधेरे में रखा।उन्होंने इस तथ्य को छिपाया कि झारखंड सरकार ने वीआइएसयूएल को कोल ब्लॉक आवंटित नहीं करने की सिफारिश की है। सीबीआई का कहना था कि कोड़ा, बसु और दो अन्य ने वीआईएसयूएल को कोल ब्लॉक आवंटित कराने के लिए साजिश रची थी।
सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ का नुकसान :
कैग (भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) ने मार्च 2012 में अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में तत्कालीन संप्रग सरकार पर आरोप लगाया था कि उसने 2004 से 2009 तक की अवधि में कोल ब्लॉक का आवंटन गलत तरीके से किया है। इससे सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कैग रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने कई फर्मो को बिना किसी नीलामी के कोल ब्लॉक आवंटित किए थे।