नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने तीन तलाक पर रोक लगाने के लिए मसौदा बिल तैयार कर लिया है, जिसके तहत तीन तलाक देना अवैध और अमान्य होगा। ऐसा करने पर पति को तीन साल की जेल और जुर्माना भी हो सकता है। तीन तलाक देना गैर जमानती और संज्ञेय अपराध होगा। इस अपराध के लिए कितना जुमार्ना लगेगा यह मजिस्ट्रेट तय करेंगे।
सरकार यह कदम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद तीन तलाक देने के मामûलों को देखते हुए उठा रही है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विधेयक का नाम मुस्लिम वुमेन प्रोटेक्शन आॅफ राइट्स आॅन मैरिज बिल है।
मसौदा बिल को राय के लिए राज्य सरकारों को शुक्रवार को भेजा गया है। राज्यों को तत्काल अपना जवाब देने को कहा गया है। राज्यों की राय मिलने के बाद कानून मंत्रालय मसौदे को मंजूरी के लिए कैबिनेट के सामने पेश करेगा। सूत्रों का कहना है कि सरकार इस बिल को 15 दिसंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में पेश कर सकती है।
नया प्रस्ताव महिलाओं को ताकत देगा
संसद से बिल के पारित होने के बाद यह कानून सिर्फ एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर ही लागू होगा। यह कानून पीड़िता को खुद और अपने नाबालिग बच्चों के लिए भरण-पोषण और गुजारा भत्ता के लिए मजिस्ट्रेट के पास जाने की शक्ति देगा। पीड़िता नाबालिग बच्चों की कस्टडी भी मांग सकेगी। इस मामले पर मजिस्ट्रेट अंतिम फैसला लेंगे।
ये स्वरूप किए जाएंगे शामिल
प्रस्तावित बिल में इस बात के विशेष प्रावधान किए गए हैं कि किसी भी स्वरूप में दिया गया तीन तलाक मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रॉनिक जैसे ईमेल, एसएमएस या व्हाट्सएप गैरकानूनी और अमान्य होगा।
जम्मू-कश्मीर को छूट
मसौदा बिल को गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले अंतर-मंत्रालीय समूह ने तैयार किया है। इसके अन्य सदस्य विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, वित्त मंत्री अरुण जेटली, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी हैं। प्रस्तावित बिल के अनुसार, नया कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश पर लागू होगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 66 मामले
सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर रोक लगाने के बावजूद इस साल कोर्ट के फैसले के पहले 177 मामले सामने आए थे जबकि आदेश के बाद 66 मामले आए हैं। तीन तलाक के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। प्रधानमंत्री को बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाओं से उत्पीड़न की शिकायत मिली हैं।