नई दिल्ली। नोटबंदी का फैसला भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा कदम था। देश की अर्थव्यवस्था की भलाई के लिए यह कदम उठाया गया। इसके साथ ही वित्त मंत्री ने कहा कि कैश का बोलबाला किसी भी इकोनॉमी के लिए अच्छी बात नहीं है। कैश करेंसी का 86 प्रतिशत हिस्सा बड़े नोटों के रूप में हो गया था। ज्यादा कैश से भ्रष्टाचार पनपता है। कैश कम होने से भ्रष्टाचार कम होता है। ज्यादा कैश का लेन-देन अर्थव्यवस्था के लिहाज से अच्छी बात नहीं है। नोटबंदी में कैश जमा होने के मतलब यह नहीं है कि यह फेल गया। नोटबंदी में जिस तरह से नए नोट लाए गए, वह अपने आप में एक रिकॉर्ड है। जब कोई पैसा बैंक में आता है तो पता चलता है कि उसका मालिक कौन है। हमने फैसला न लेने का पुराना चलन बदला। हमने देश हित में फैसला लिया। वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी पर कांग्रेस ने हमारा विरोध किया लेकिन 10 साल तक लगातार उससे पहले वे सत्ता में रहे तो उन्होंने कुछ भी नहीं किया।
इससे पहले इसको भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास का महत्वपूर्ण क्षण बताते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि नोटबंदी ने देश में स्वच्छ, पारदर्शितापूर्ण और ईमानदार वित्तीय प्रणाली प्रदान की है जिस पर आने वाली पीढ़ी गर्व करेगी। 'नोटबंदी के एक वर्ष' शीर्षक से अपने लेख में जेटली ने कहा कि आठ नवंबर को भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में महत्वपूर्ण क्षणों के रूप में याद किया जायेगा।
यह दिवस देश से कालाधन की गंभीर बीमारी के उपचार के इस सरकार के संकल्प को प्रदर्शित करता है। हम भारतीयों को भ्रष्टाचार और कालाधन के संदर्भ में 'चलता है' की भावना के साथ रहने को मजबूर कर दिया गया था और इस व्यवहार का प्रभाव मध्यम वर्ग और समाज के निचले तबके के लोगों को भुगतना पड़ रहा था। उन्होंने कहा कि समाज के एक बड़े तबके के भीतर लंबे समय से यह तीव्र इच्छा थी कि हमारे समाज को भ्रष्टाचार और कालाधन के अभिशाप से मुक्त किया जाए। और इसी इच्छा के परिणामस्वरूप लोगों ने मई 2014 में जनादेश दिया।
वित्त मंत्री ने कहा कि इस सरकार ने निर्णय किया और कालाधन के खिलाफ लड़ाई के उद्देश्यों को पूरा करने के लिये तीन वर्षों में सुविचारित और सुनियोजित तरीके से निर्णय किया और कानून के पूर्व के प्रावधानों को लागू किया। एसआईटी के गठन से विदेशी संपत्ति के संदर्भ में जरूरी कानून पारित कराने से लेकर नोटबंदी और जीएसटी को लागू करने का निर्णय इसी दिशा में उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा कि जब देश 'कालाधन विरोधी दिवस' मना रहा है, तब एक बहस शुरू हो गई है कि क्या नोटबंदी की कवायद अपने उद्देश्यों को पूरा कर सकी। इस संदर्भ में नोटबंदी अल्पावधि और मध्यावधि में तय उद्देश्यों के संदर्भ में सकारात्मक परिणाम लाने वाला कदम रहा।