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...तो हर व्‍यक्ति को सालाना मिल सकती है 2600 रुपए की इनकम

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 12 2017 4:39PM | Updated Date: Oct 12 2017 4:39PM
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नई दिल्‍ली। हाल ही में यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) के मुद्दे पर दुनियाभर में बहस तेज हुई है और बहुत से देशों में इसका परीक्षण भी किया जा रहा है... ऐसे में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने कहा है कि अगर भारत में फूड और एनर्जी पर सब्सिडी को समाप्‍त कर दिया जाए तो देश के हर व्‍यक्ति को सालाना 2,600 रुपये की यूनिवर्सल बेसिक इनकम उपलब्‍ध कराई जा सकती है। दरअसल, IMF ने देश में इसकी संभावना पर गहराई से विचार किया है।

द इकॉनोमिक टाइम्‍स की खबर के अनुसार, हालांकि IMF ने जो कैलकुलेशन किया है, वह साल 2011-12 के डाटा पर आधारित हैं। एनडीए सरकार के तहत फ्यूल सब्सिडी में आई भारी कमी और आधार के जरिये अन्‍य सब्सिडी के वितरण के मद्देनजर इस डाटा को एडजस्‍ट करने की जरूरत है।
 
खबर के मुताबिक, यूबीआई की इतनी कम रकम के लिए भी जीडीपी के तीन प्रतिशत की फिस्‍कल कॉस्‍ट आएगी. हालांकि इससे पब्लिक फूड वितरण और फ्यूल सब्सिडी को लेकर कुछ समस्‍याओं से निपटा जा सकेगा। इससे PDS में लोअर इनकम ग्रुप की पूरी कवरेज न होने और अधिक आमदनी वाले लोगों के सब्सिडी के बड़े हिस्से को हासिल करने जैसी समस्याएं दूर हो सकती हैं।
 
आईएमएफ का कहना है कि यूबीआई को लेकर बहस सरकार की मौजूदा सब्सिडी व्यवस्था के एक विकल्प की संभावना के तौर पर की जा रही है।

सब्सिडी की मौजूदा व्‍यवस्‍था में हैं कमियां
IMF का मानना है कि सब्सिडी की फिलहाल जो मौजूदा व्‍यवस्‍था है, उसमें काफी कमियां हैं। इस वजह से जो वर्ग इसे पाने के हकदार हैं, उन्‍हें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
 
2,600 रुपये की UBI का आंकड़ा इस आधार पर निकाला गया है कि यह भारत में फूड और फ्यूल सब्सिडी की जगह लेगा।
 
हालांकि, इसका दूसरा पहलू यह भी है कि बड़े स्तर पर सब्सिडी को समाप्त करने के लिए कीमतों में काफी बढ़ोतरी करने की जरूरत होगी। IMF ने इसके लिए 2016 के एक अध्‍ययन का हवाला दिया है। संस्‍था का कहना है कि इससे यूबीआई के लिए फंड उपलब्ध हो सकेगा।

क्‍या कहता है IMF का अनुमान
2,600 रुपये की सालाना UBI 2011-12 में प्रति व्‍यक्ति खपत के लगभग 20 प्रतिशत के बराबर है। रिपोर्ट के अनुसार, UBI को लागू करने से मिलने वाले संभावित फायदों के लिए राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक चुनौतियों से निपटने की योजना सावधानी से बनाने की जरूरत होगी, क्योंकि सब्सिडी व्यवस्था में सुधार के लिए बड़े स्तर पर कीमतों में वृद्धि करनी पड़ेगी।
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