मुंबई। भारतीय नौसेना के इतिहास में वह समय आ गया है जब वह दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए अपना दम दिखा सकती है। लंबे इंतजार के बाद भारतीय नौसेना को कलवरी श्रेणी की छह स्वदेशी पनडुब्बियों में से पहली मिल चुकी है।
भारतीय नौसेना पनडुब्बी संचालन की 50वीं वर्षगांठ पर बड़ा समारोह आयोजित कर कलवरी को नौसेना में शामिल करने की तैयारी कर रही है। नौसेना की मौजूदा पनडुब्बियां हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों का मुकाबला करने में इतनी सक्षम नहीं हैं। ऐसे में आधुनिक हथियारों से सुसज्ज्ति यह पनडुब्बी मिल जाने से नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। मेक इन इंडिया के तहत मझगांव डॉक में निर्मित पनडुब्बी दुश्मन की नजरों से बचते हुए अपने एंटी शिप मिसाइलों और टॉरपीडो से दुश्मन के जहाजों पर सटीक निशाना लगा कर उन्हें पलभर में ध्वस्त कर सकती है।
टाइगर शार्क के नाम पर
कलवरी नाम हिंद महासागर में पाई जाने वाली खतरनाक टाइगर शार्क के ऊपर रखा गया है। 8 दिसंबर 1967 में पहली कलवरी कमीशंड की गई थी, जो भारतीय नौसेना की पहली पनडुब्बी थी। 30 साल तक इसने नौसेना का मान बढ़ाया। नियम के तहत 31 मई 1996 में इसे डी-कमीशंड कर दिया गया।
2005 का था प्रोजेक्ट
स्कॉर्पिन पनडुब्बियों का प्रोजेक्ट 2005 का है। अक्टूबर 2005 में रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस और मझगांव डॉक शिप बिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) से इन्हें बनाने का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था। कलवरी को 2012 में ही नौसेना में शामिल करने का प्लान था लेकिन तकनीकी गड़बड़ी से प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका।
ये खूबियां बनाती हैं इसे सबसे ताकतवर
-इसके निर्माण में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है।
-बहुत ही कम शोर पैदा करके ये दुश्मनों से बची रह सकती है।
-पानी में बहने लायक बेहतरीन आकार से इसे तेज गति मिलती है।
-दुश्मन को बड़ी ही सटीक और घातक वार करने में सक्षम है यह
-पानी के भीतर और सतह पर वार करने में पूरी तरह से सक्षम है यह
-इससे दो तरह से हमला किया जा सकता है। पहला टॉरपीडो से और दूसरा ट्यूब लॉन्च्ड एंटी शिप मिसाइल से।
2029 तक 24 पनडुब्बियों की है योजना
1999 में तैयार प्लान के मुताबिक 2029 तक 24 पनडुब्बियां बनाने की योजना नौसेना की बनीं थी। लेकिन यह प्रोजेक्ट लेट हो गया। कलवरी बनाने के बाद एमडीएल को पनडुब्बी निर्माण में विशेषज्ञता हासिल हो गई है। 2017 में लांच की खांदेरी का ट्रायल चल रहा है और तीसरी पनडुब्बी करंज इसी साल के अंत तक लांच की जाएगी। अन्य पनडुब्बियों का निर्माण तेजी से किया जा रहा है।