नई दिल्ली। परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति में अभ्यर्थी का स्नातक में न्यूनतम 45 या 50 प्रतिशत अंक पाना अनिवार्य नहीं है। इससे कम अंक पाने वाले अभ्यर्थी भी नियुक्ति पाने के हकदार हैं।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले में एनसीटीई की अधिसूचना को असंवैधानिक ठहरा चुका है। सर्वोच्च अदालत ने इस बाबत एनसीटीई को स्पष्टीकरण भी जारी करने का निर्देश दिया है। इस आदेश के आलोक में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए 40 प्रतिशत अंक पाने वाले अभ्यर्थियों की नियुक्ति को वैध करार दिया है।
विवेक कुमार रजौरिया और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने यह आदेश दिया। याची के अधिवक्ता सीमांत सिंह की दलील थी कि 28 अगस्त, 2010 को जारी एनसीटीई की अधिसूचना के पैरा तीन में कहा गया कि सहायक अध्यापक बनने के लिए स्नातक में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंक होना अनिवार्य है।
अधिसूचना के इस हिस्से की वैधानिकता को हाईकोर्ट में नीरज कुमार ने चुनौती दी थी। हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी गई।