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ट्रिपल तलाक पर आज आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 21 2017 8:03PM | Updated Date: Aug 22 2017 4:05PM
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नई दिल्ली। देश में बहस का मुद्दा बने ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मंगलवार यानि 22 अगस्त आएगा। इस मुद्दे पर 11 मई से सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई 18 मई को खत्म हुई थी और कोर्ट ने अपने फैसला को सुरक्षित रखा लिया था। 

 
वैध है या अवैध? 
शीर्ष कोर्ट की पांच जजों की पीठ ये तय करेगा कि तीन तलाक महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है या नहीं, यह कानूनी वैध है या नहीं और तीन तलाक इस्लाम का मूल हिस्सा है या नहीं?
 
ट्रिपल तलाक के पक्ष में नहीं केंद्र
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में साफ किया था कि वह तीन तलाक की प्रथा को वैध नहीं मानती और इसे जारी रखने के पक्ष में नहीं है। 
 
सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक पर सुनवाई के दौरान पीठ ने सरकार से सवाल किया था कि अगर वो तीन तलाक को गलत मानती है तो इसके लिए खुद कानून क्यों नहीं बनाती। 
 
पर्सनल लॉ बोर्ड की दलील
वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि तीन तलाक का पिछले 1400 साल से जारी है। अगर राम का अयोध्या में जन्म होना, आस्था का विषय हो सकता है तो तीन तलाक का मुद्दा क्यों नहीं।  
 
ट्रिपल तलाक रद्द हुआ तो सरकार लाएगी नया कानून 
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा था, अगर कोर्ट ट्रिपल तलाक के रद्द कर देती है तो केंद्र सरकार मुस्लिम समुदाय तलाक के लिए कानून लाएगी। 
 
क्या है पूरा मामला
दरअसल, मार्च 2016 में उतराखंड की शायरा बानो नामक मुस्लिम महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके ट्रिपल तलाक, हलाला निकाह और बहु-विवाह की व्यवस्था को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग की थी। बानो ने मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन कानून 1937 की धारा 2 की संवैधानिकता को चुनौती दी है। 
 
कोर्ट में दाखिल याचिका में शायरा ने कहा है कि मुस्लिम महिलाओं के हाथ बंधे होते हैं और उन पर तलाक की तलवार लटकती रहती है। वहीं पति के पास निर्विवाद रूप से अधिकार होते हैं। यह भेदभाव और असमानता एकतरफा तीन बार तलाक के तौर पर सामने आती है। 

मोदी ने लाल किले से किया था जिक्र
स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ने तीन तलाक मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा था कि, मैं उन बहनों का अभिनंदन करना चाहता हूं जो तीन तलाक के कारण बहुत ही दुर्दव्‍य जिंदगी जीने के लिए मजबूर हुई हैं। कोई आश्रय नहीं बचा है, और ऐसी पीड़ित, तीन-तलाक से पीड़ित बहनों ने पूरे देश में एक आंदोलन खड़ा किया है।
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