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आजादी का प्रतीक ही नहीं, जान से प्यारा है यह तिरंगा हमारा...

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 15 2017 11:23AM | Updated Date: Aug 15 2017 11:23AM
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सर्दी-गर्मी हो या बरसात किसी भी मौसम में तिरंगे का जिक्र होता है तो हमारे तन बदन में राष्ट्रवाद के अंकुर फूटने लगते हैं। अब तो हमारे पास राष्ट्र-राष्ट्रवाद पर चर्चा करने का मौका भी है, क्योंकि आज 15 अगस्त को हमारा देश 71वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। आजादी के इस जश्न में हम सभी तिरंगे के प्रति अपना सम्मान व्यक्त कर रहे हैं, लेकिन जिस तिरंगे को हम अपने दिलों जान से भी ज्यादा चाहते हैं।
 
क्या आप उससे जुड़े रोचक तथ्यों को जानते हैं। आज हम आपको न केवल तिरंगे झंडे के बारे में बताएंगे बल्कि इससे जुड़े इतिहास से भी अवगत कराएंगे...  
 
तिरंगे की ऐतिहासिक गाथा...  
- भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता (कोलकाता) में फहराया गया था। इस ध्वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था।
- भारत के दूसरे ध्वज को साल 1907 में पेरिस में मैडम कामा और उनके साथ निकाले किए गए कुछ क्रांतिकारियों ने फहराया गया था। यह भी पहले ध्वज की तरह ही था। इसमें सबसे ऊपर बनी पट्टी पर सात तारे सप्तऋषि को दर्शाते थे जबकि एक कमल था।
- भारत के तीसरे ध्वज को साल 1917 में डॉ. एनी बीसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान फहराया। इस ध्वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्तऋषि के स्वरूप में इस पर बने सात सितारे थे।
- भारत के चौथे ध्वज को अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के सत्र के दौरान 1921 में बेजवाड़ा में फहराया गया था। यह लाल और हरे रंग से बना था जो हिंदू और मुस्लिम दोनों समदायों को दर्शाता था।
- भारत में पांचवें ध्वज के रूप में 1931 में फहराया गया था। यह ध्वज भारतीय राष्ट्रीय सेना का संग्राम चिन्ह भी था।
- लेकिन फाइनली तिरंगे को 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था। अभी जो तिरंगा हम फहराते हैं, उसे आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था।
- इसे अखिल भारतीय कांग्रेस ने आजादी के ऐलान से पहले ही अपना लिया था, जिसमें अशोक चक्र भी था।
 
केसरिया रंग
 राष्ट्रीय गीत में भी इन रंगों का वर्णन मौजूद है। बहरहाल, तिरंगे में सबसे ऊपर स्थित पट्टी में केसरिया रंग है। केसरिया रंग बल देने वाला होता है। ये रंग देश की शक्ति व साहस को दर्शाता है।
 
सफेद रंग 
तिरंगा के बीच वाली पट्टी सफेद होती है। सफेद रंग को सच्चाई और शांति का प्रतीक माना जाता है। ये हम भारतीयों को सच्चा और शांति का दूत बनने की प्रेरणा देता है। ऐसा माना जाता है कि झंडे में सफेद रंग को महात्मा गांधी के निर्देश के बाद शामिल किया गया था। इस पट्टी में ही
अशोक का चक्र भी मौजूद है।
 
हरा रंग
तिरंगे में सबसे नीचे वाली पट्टी पर हरा रंग है। हरा रंग हमारे देश की धरती की हरियाली का प्रतिनिधित्व करता है। हरा रंग उर्वरता, हरित क्रांति, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाता है।
 
अशोक चक्र
तिरंगे के तीनों रंगों में से बीच वाले रंग यानी कि सफेद पट्टी में अशोक चक्र मौजूद है। इसमें 24 तिल्लियां हैं। यह अशोक चक्र हमें और हमारे देश को सदा विकास के पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देने के लिए होता है। इसे धर्म चक्र भी कहा जाता है। मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर के अशोक स्तंभ से इस चक्र को लिया गया है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो यह चक्र प्रगति का प्रतीक है।
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