नई दिल्ली। गोहत्या पर रोक लगाने वाले केंद्र के अध्यादेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्यों कोई व्यक्ति जानवरों का स्लॉटर करके खा नहीं सकता। कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट द्वारा पहले से लगाई गई रोक के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। केंद्र सरकार ने 23 मई को इस आशय की अधिसूचना जारी की थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शुक्रवार को दिए गए इस फैसले उन लोगों को राहत मिलेगी, जो मीट का कारोबार करते हैं। सरकार द्वारा रोक लगाने के बाद भैंस और अन्य गोवंश की बिक्री काफी घट गई थी। सरकार के आदेश का विरोध करते हुए मीट कारोबारियों ने कहा था केंद्र के इस फैसले से उनकी अजीविका पर असर पड़ेगा।
मद्रास हाईकोर्ट ने चार हफ्ते के लिए लगाई थी रोक
इससे पहले, मद्रास हाईकोर्ट ने दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार की नई अधिसूचना पर चार हफ्ते के लिए रोक लगा दी थी। इन याचिकाओं में कहा गया था कि सरकार का नया नियम न केवल संघीय ढांचे के विपरीत है बल्कि पशुक्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के भी विपरीत है। सरकार के इस नियम का केरल, पश्चिम बंगाल, पुड्डुचेरी आदि राज्यों में पुरजोर विरोध हो रहा है। इसे लेकर कई हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई है। सरकार ने नया कानून सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनाया है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को मवेशियों की तस्करी रोकने के लिए सख्त कानून बनाने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों मवेशियों की तस्करी को रोकने के लिए कड़ा कानून बनाने में देरी पर सरकार को फटकार भी लगाई थी। शीर्ष अदालत ने हालांकि अपने पूर्व के फैसले में संशोधन करते हुए पशु क्रूरता निषेध कानून से रोक हटा ली है। सुप्रीम कोर्ट के इस रुख से पशु बाजार के नियम 22 के लागू होने का रास्ता साफ हो गया है, जिस पर मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने रोक लगा दी थी।