नई दिल्ली। तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा है कि भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद का समाधान बातचीत से निकाला जाना चाहिए। दलाई लामा ने आज यहां राजेन्द्र माथुर स्मृति आख्यान के अवसर पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि डोकलाम को लेकर दोनों पक्षों की ओर से आगे बगाहे 'सख्त शब्दों' का इस्तेमाल किया जा रहा है वरना हालात युद्ध जैसे नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि सैन्य ताकत की बात की जाए तो दोंनो ही देश एक दूसरे को खत्म करने की क्षमता रखतें है इसलिए उन्हें नहीं लगता कि ये युद्ध करना चाहेंगे। दलाई लामा ने इस बारे में 1962 के चीन-भारत युद्ध का हवाला देते हुए कहा कि युद्ध के बाद चीन उन क्षेत्रों से पीछे हट गया था जहां तक उसकी सेनाएं बढ़ कर आ गई थीं। मौजूदा स्थितियों में यही बेहतर होगा कि दोनों पक्ष विवाद का हल बातचीत से निकाल लें। उन्होंने कहा कि युद्ध में हार या जीत पुरानी सोच है जो आज के समय में अप्रासंगिक हो चुकी है।
भारत और चीन को पुराने पड़ोसी देश बताते हुए उन्होंने कहा कि दोनों सरकारों के बीच भले ही कभी मनमुटाव हो जाए लेकिन चीन के लोगों के मन में भारत के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है। उन्होंने सरकार को भारत में पढ़ने आने वाले चीनी छात्रों तथा तीर्थ यात्रा पर आने वाले बौद्ध भिक्षुओं को ज्यादा सुविधाएं दिए जाने का सुझाव दिया।