नई दिल्ली। राम जन्मभूमि बाबरी मामले में एक नया मोड़ आ गया। सुप्रीम कोर्ट में शिया वक्फ बोर्ड की ओर से एक हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दायर किया गया है। इस हलफनामे में बोर्ड की ओर से कहा गया है कि भगवान राम का मंदिर अयोध्या में विवादित जमीन पर ही बनाया जा सकता है।
शिया बनाम सुन्नी
शिया वफ्फ बोर्ड ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सुन्नी वफ्फ बोर्ड शांति पूर्ण तरीके से समाधान नहीं चाहता। इस मसले को सभी पक्ष आपस में बैठकर सुलझा सकते हैं और सुप्रीम कोर्ट इसमें उन्हें वक्त दे। इसके लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई जाए जिसमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुआई में हाई कोर्ट के दो सेवानिवृत जज, प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारी के अलावा और पक्षकार शामिल हों।
शिया वफ्फ बोर्ड इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी पक्षकार था, हालांकि हाई कोर्ट में विस्तृत दलील के लिए पैरवी नही की। 2011 में जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया था। ये हलफनामा उसी नोटिस के जवाब में आया है।
हाई कोर्ट का फैसला
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2010 में जन्मभूमि विवाद में फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षकारों में बांटने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने जमीन को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर बराबर बांटने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सभी पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में अपीलें दाखिल कर रखी हैं जो कि पिछले छह साल से लंबित हैं। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी।