नई दिल्ली। वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल का आज अंतिम दिन है। पदमुक्त होने की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम विदाई संदेश में प्रणब दा ने कहा "मेरे प्रति व्यक्त किए गए विश्वास और भरोसे के लिए मैं भारत की जनता, उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों और राजनीतिक दलों के हार्दिक आभार से अभिभूत हूं। मैं उनकी विनम्रता और प्रेम से सम्मानित हुआ हूं।
उन्होंने ने कहा, देश को जितना दिया, उससे कहीं अधिक पाया है। इसके लिए मैं भारत के लोगों के प्रति सदैव कर्जदार रहूंगा।" साथ ही प्रणब मुखर्जी ने कहा- "मैं राष्ट्रपति बनने जा रहे रामनाथ कोविंद का स्वागत करता हूं।
मुखर्जी ने उन्हें देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचाने के लिए भी देशवासियों और उनके चुने हुए प्रतिनिधियों के प्रति आभार जताया। उन्होंने देशवासियों का आह्वान किया कि वे राष्ट्र निर्माण के कार्य में जो भी भूमिका निभा रहे हैं, उसे ईमानदारी, समर्पण और संविधान में स्थापित मूल्यों के प्रति दृढ़ निष्ठा के साथ निभाएं।
प्रणब मुखर्जी ने कहा, मेरे पास देने के लिए कोई उपदेश नहीं हैं। पिछले 50 वर्षों के सार्वजनिक जीवन के दौरान- भारत का संविधान मेरा पवित्र ग्रंथ रहा है, भारत की संसद मेरा मंदिर रही है और भारत की जनता की सेवा मेरी अभिलाषा रही है।
हिंसा से मुक्त हो समाज: प्रणव
देश में गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा की घटनाओं के बीच प्रणब दा ने सहिष्णुता को भारतीय सभ्यता की नींव बताते हुए समाज को शारीरिक तथा मौखिक सभी तरह की हिंसा से मुक्त करने की जरूरत बताई है।
मुखर्जी ने अपने संदेश में कहा कि जिम्मेदार समाज के निर्माण के लिए सहिष्णुता और अहिंसा की शक्ति को पुनर्जागृत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, "प्रतिदिन हम अपने आसपास बढ़ती हुई हिंसा देखते हैं। इस हिंसा की जड़ में अज्ञानता, भय और अविश्वास है। हमें अपने जनसंवाद को शारीरिक और मौखिक सभी तरह की हिंसा से मुक्त करना होगा।"
मुखर्जी ने कहा कि भारत की आत्मा बहुलवाद और सहिष्णुता में बसती है। भारत केवल एक भौगोलिक सत्ता नहीं, बल्कि इसमें विचारों, दर्शन, बौद्धिकता, औद्योगिक प्रतिभा, शिल्प, नवोन्वेषण और अनुभव का इतिहास समाहित है। सदियों से विचारों को आत्मसात करके भारतीय समाज का बहुलवाद निर्मित हुआ है।
उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समावेशी समाज की परिकल्पना का उल्लेख करते हुए कहा कि गांधीजी भारत को एक ऐसे समावेशी राष्ट्र के रूप में देखते थे, जहां समाज का हर वर्ग समानता के साथ रहता हो और समान अवसर प्राप्त करता हो। राष्ट्रपिता चाहते थे कि भारतवासी एकजुट होकर निरंतर व्यापक हो रहे विचारों और कार्यों की दिशा में आगे बढ़ें।
शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, मैंने राष्ट्रपति पद ग्रहण करते समय कहा था कि शिक्षा एक ऐसा माध्यम है, जो भारत को अगले स्वर्ण युग में ले जा सकता है। इसके लिए हमें अपने उच्च संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाना होगा।"
कोविंद कल लेंगे शपथ
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मगलवार को देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ लेंगे। भारत के मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में कोविंद को दोपहर सवा बारह बजे पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे।
शपथ ग्रहण समारोह में राज्य सभा के सभापति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, मंत्री परिषद के सदस्य, विदेशी दूतावासों के प्रमुख, सांसद और शीर्ष सैन्य अधिकारी शामिल होंगे।
शपथ ग्रहण के बाद नए राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी जाएगी। इसके बाद कोविंद संसद को भी संबोधित करेंगे। केन्द्रीय कक्ष में समारोह के समापन के उपरांत कोविंद राष्ट्रपति भवन रवाना होंगे, जहां उन्हें 'गार्ड ऑफ ऑनर' दिया जाएगा।