नई दिल्ली। रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने सफदरजंग रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार को देश की पहली सौर ऊर्जा युक्त पहली डीएमयू रेलगाड़ी का शुभारंभ किया। सौर ऊर्जा के प्रयोग से प्रत्येक कोच से हर साल करीब नौ लाख टन कार्बन उत्सर्जन और 21 हजार लीटर डीजल की बचत होगी।
इस अवसर पर रेलमंत्री ने कहा कि भारतीय रेलवे सभी ट्रेनों में कोच के ऊपर सौर पैनल लगाने का काम जल्द ही शुरू करेगी, ताकि कोच में पंखे एवं प्रकाश के लिए बिजली सौर पैनल से मिलेगी। उन्होंने कहा कि डीएमयू के कोचों में बैटरियां लगाई गई हैं, जो वर्षा एवं सर्दी के मौसम में भी ऊर्जा की आपूर्ति करेंगी। इसमें कुल 10 कोच (8 पैसेंजर और 2 मोटर) हैं। इसके आठ कोच की छतों पर 16 सोलर पैनल लगे हैं, सूरज की रोशनी में इनसे 300 वॉट बिजली बनेगी और कोच में लगा बैटरी बैंक चार्ज होगा। बाद में ट्रेन की सभी लाइट, पंखे और इन्फॉर्मेशन सिस्टम चलेगा।
चेन्नई की कोच फैक्टरी में तैयार
1600 हॉर्स पॉवर ताकत वाली यह ट्रेन चेन्नई की कोच फैक्टरी में तैयार की गई है। जबकि इंडियन रेलवेज आॅर्गेनाइजेशन आॅफ अल्टरनेटिव फ्यूल (आईआरओएएफ) ने इसके लिए सोलर पैनल तैयार किए और इन्हें कोच की छतों पर लगाया है। अगले छह महीने में ऐसे 24 कोच और तैयार हो जाएंगे। कोच में लगे सोलर सिस्टम की लाइफ 25 साल है। ट्रेन को तैयार करने में 13.54 करोड़ का खर्च आया है। एक पैसेंजर कोच की लागत करीब एक करोड़ रुपए आई है।
ट्रेन में और क्या सुविधाएं
- सोलर एनर्जी के अलावा सभी कोच में बायोटॉयलेट, वॉटर रिसाइकिलिंग, वेस्ट डिस्पोजल, बायो फ्यूल और विंड एनर्जी के इस्तेमाल होगा। एक कोच में 89 लोग सफर कर सकते हैं।
- सोलर पॉवर सिस्टम को मजबूती देने के लिए इसमें स्मार्ट इन्वर्टर लगे हैं, जो ज्यादा बिजली पैदा करने में मददगार साबित होंगे। साथी ही इसका बैटरी बैंक रात के वक्त कोच का पूरा इलेक्ट्रीसिटी लोड उठा सकेगा।