श्रीनगर। अमरनाथ यात्रियों की बस पर सोमवार की रात आतंकियों ने हमला कर दिया। इसमें 7 श्रद्धालुओं की मौत और 15 से ज्यादा घायल हो गए। बताया जा रहा है कि ड्राइवर सलीम की सूझबूझ से बाकी यात्रियों की जान बच गई। उसने फायरिंग होते ही बस तेजी से भगानी शुरू कर दी और उसे सुरक्षित स्थान पर रोका। आतंकियों की फायरिंग के बीच सलीम बस चलाते रहे। सलीम की बहादुरी की चर्चा जम्मू-कश्मीर के साथ ही देश भर में हो रही है।
नहीं बचा सके सात लोगों की जान
सलीम के परिवार को इस बात का दुख है कि वो सात लोगों की जान नहीं बचा सके और साथ में इस बात का गर्व भी है कि बस में सवार बाकी लोगों को वो सुरक्षित बचाकर आतंकियों के हमले से दूर ले जा सके।
गोलीबारी होती रही फिर भी सलीम ने नहीं रोकी बस
अमरनाथा यात्रा पर बीती शाम बड़ा आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में 7 लोगों की मौत हो गई और 15 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे। बस पर फायरिंग तब हुई जब ये बस अमरनाथ यात्रा पूरी करके लौट रहे रही थी। ये आतंकी हमला और भी बड़ा हो सकता था अगर बस ड्राइवर सलीम होशियारी न दिखाते। जब बस पर आतंकियों ने गोलियां बरसानी शुरू की तब सलीम ने बस रोकी नहीं और बस के एक्सिलेटर को दबाते रहे। सलीम अगर अपनी सूझबूझ न दिखाते तो ये आतंकी हमला और भी बड़ा हो सकता था। आपको बता दें इस बस में 56 यात्री सफर कर रहे
थे। सलीम मिलिट्री कैंप तक बस को बिना रोके ले गए।
जान पर खेलकर बचाई कई लोगों की जान
दरअसल, गोलियों की आवाज सुनकर बस में अफरातफरी मच गई थी और लोग घबरा गए थे लेकिन ऐसे संकट के समय बस के ड्राइवर सलीम शेख ने हिम्मत नहीं हारी। उसे मालूम था कि अगर उसने बस रोक दी तो आतंकियों के लिए बस पर निशाना साधना आसान हो जाएगा। बस फिर क्या था, सलीम ने बस के एक्सिलेटर पर पांव रखा और गोलीबारी के बीच बस दौड़ाना शुरू कर दिया। इस बीच एक गोली बस के टायर पर भी लगी लेकिन फिर भी सलीम ने बस नहीं रोकी और लगातार बस दौड़ाते रहे। आखिर में सलीम बस को लेकर एक आर्मी कैंप में पहुंचे और इस तरह उन्होंने अपनी जान पर खेलकर कई लोगों की जान बचा ली।
पुलिस ने कहा- उसने नियम तोड़ा
वहीं पुलिस का कहना है कि बस ड्राइवर नियमों को तोड़ते हुए श्रद्धालुओं को लेकर आगे बढ़ा। बस का अमरनाथ श्राइन बोर्ड से रजिस्ट्रेशन नहीं था। उसने अनिवार्य सुरक्षा नियमों का भी पालन नहीं किया। बस गुजरात की थी, जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर GJ09Z9976 था। दो दिन पहले ही उसने यात्रा समाप्त की थी और श्रीनगर में ही रुका था।
भाई को सलीम पर गर्व
गुजरात के वलसाद में रहने वाले सलीम के भाई जावेद ने बताया कि, वो 7 लोगों की जान नहीं बचा पाया लेकिन बाकियों को सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया। मुझे उस पर गर्व है। जावेद मिर्जा के मुताबिक सलीम ने उन्हें सुबह 9.30 बजे करीब फोन किया और हादसे के बारे में बताया।
और तभी अचानक चलने लगी गोलियां
एक और चश्मदीद ने बताया कि, बस के दाहिने तरफ से हमला किया गया और उस तरफ काफी अंधेरा था। जैसे ही हमला हुआ ड्राइवर ने बस वहां से तेज कर ली और काफी आगे जाकर एक चौक पर रोकी। यात्रियों ने बताया, उस वक्त हम सो रहे थे कि अचानक गोलियां चलने लगी, ऐसा लगा मानो अब हमारी जान नहीं बचेगी।
बस के मालिक ने सुनाई आपबीति
बस के मालिक हर्ष देसाई ने एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए आपबीति सुनाते हुए कहा कि, हम श्रीनगर से शाम 6:30 बजे चले। हमारी तीन बसें थीं। 30-35 किमी बाद हमारी बस पीछे रह गई थी। तभी अचानक तीन तरफ से हमारी बस पर अंधाधुंध गोलियां चलने लगीं। हम डर के मारे सीटों के नीचे छुप गए। सिर्फ चीखने की आवाजें सुनाई दे रही थीं तभी दो गोली मुझे चीरती निकल गईं, एक हाथ और दूसरी कंधे पर। फिर फायरिंग की आवाज थम गई। आर्मी के लोगों ने आकर हमें श्रीनगर अस्पताल में पहुंचाया।
घटना से झुक गया कश्मीर का सिर
हमले के बाद जम्मू और कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अनंतनाग के अस्पताल पहुंचीं और घायलों से मुलाकात की। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इस घटना से कश्मीर का सिर झुक गया है।