श्रीनगर/नई दिल्ली। अमरनाथ यात्रा के दौरान आतंकी हमले में मारे गए श्रद्धालुओं के शव सोमवार को गुजरात के सूरत पहुंचे। वायु सेना का विमान इन शवों को लेकर पहुंचा। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने सभी मृतकों के लिए 10 लाख रुपए देने का ऐलान किया है। इस हमले के बाद गुजरात के विविध धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक संगठनों ने गुस्से का इजहार किया है।
आपको बता दें कि आतंकी हमले में गुजरात के 5 लोग मारे गए थे। सीएम विजय रुपानी ने सभी घायलों से भी बात की। गुजरात के कुल 17 यात्री घायल हुए थे, सभी को सूरत के अस्पताल में भर्ती किया जाएगा। विजय रुपानी ने बहादुरी दिखआने के लिए बस ड्राइवर की सराहना की, उन्होंने कहा कि वे ड्राइवर को बहादुरी का अवॉर्ड दिलवाने की सिफारिश करेंगे।
सोमवार रात हुआ था हमला
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में सोमवार रात आतंकियों ने हमला किया। आतंकियों ने बंटिगू एरिया में पहले पुलिस पार्टी पर हमला किया। फिर अमरनाथ यात्रियों से भरी एक बस पर फायरिंग की। हमले में सात अमरनाथ यात्रियों की मौत हो गई। इनमें पांच महिलाएं हैं। 15 तीर्थ यात्री जख्मी हुए हैं।
बस बालटाल से मीर बाजार जा रही थी। आतंकियों ने हमला रात 8.20 बजे किया। घायल श्रद्धालुओं को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके को घेर लिया है। बस (जीजे09-जेड-9976) गुजरात की बताई जा रही है और उसका अमरनाथ श्राइन बोर्ड में रजिस्ट्रेशन नहीं था। घटना के बाद राज्य में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।
दर्शन कर लौट रहे थे श्रद्धालु
जम्मू-कश्मीर की सूचना मंत्री प्रिया सेठी ने एक चैनल से बातचीत में कहा, मारे गए सभी श्रद्धालु गुजरात के हैं। बस में वलसाड के यात्री थे जो दर्शन कर लौट रहे थे। रास्ते में इनकी बस किन्ही वजह से जत्थे से अलग हो गई। इसी दौरान बाइक सवार दो आतंकियों ने बस पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।
रात में बंद कर देते हैं वाहनों का आवागमन
रात में श्रद्धालुओं की बसों को चलने नहीं दिया जाता। सभी बसों को शाम सात बजे बेस कैम्प पर पहुंचना होता है, लेकिन निशाना बनी बस तय वक्त तक बेस कैम्प पर नहीं पहुंची।
पहले ही किया था सचेत
अमरनाथ यात्रा से ठीक पहले 25 जून को आई इंटेलिजेंस रिपोर्ट में साफ कहा गया था कि यात्रियों पर हमला हो सकता है। पिछले साल हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद से ही घाटी में हालात खराब हैं। इस साल अमरनाथ यात्रा के दौरान वानी की पहली बरसी भी पड़ी थी। खुफिया रिपोर्ट्स के बाद अमरनाथ यात्रा की जबरदस्त सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं।
17 साल बाद बड़ा हमला
2000 में भी एनडीए की सरकार थी
2017 में फिर एनडीए सरकार के वक्त हमला
गृह और रक्षा मंत्रालय ने बुलाई आपात बैठक
अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमले के बाद दिल्ली में गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने देर रात आपात बैठक बुलाई। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने यात्रियों की सुरक्षा और कश्मीर के हालातों पर चर्चा की गई। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर की सीएम और राज्यपाल से बात कर जख्मी लोगों को मदद का भरोसा दिलाया है।
ड्रोन कैमरों से निगरानी, 40 हजार जवान
डीआईजी सीआरपीएफ साउथ कश्मीर मोहसन शहीदी के मुताबिक इस साल सैटेलाइट्स और ड्रोन कैमरों के जरिए अमरनाथ यात्रा की निगरानी की जा रही है। पुलिस, सेना, बीएसएफ और सीआरपीएफ को मिलाकर यहां सुरक्षा बलों के करीब 40,000 जवानों को तैनात किया गया है।
2.30 लाख लोगों ने कराया रजिस्ट्रेशन
इस साल अमरनाथ यात्रा के लिए करीब 2.30 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। पवित्र अमरनाथ यात्रा की शुरुआत कड़ी सुरक्षा के बीच 29 जून को पहलगाम और बालटाल दोनों ही रास्तों से हुई थी। उत्तरी कश्मीर के बालटाल कैंप के रास्ते से अमरनाथ गुफा की ओर जाने के लिए 6000 से ज्यादा श्रद्धालुओं को इजाजत दी गई थी जबकि दक्षिण कश्मीर के पहलगाम के परंपरागत रास्ते से करीब 5000 यात्री गुफा की ओर चले थे। यह यात्रा 40 दिन तक चलेगी।
वर्ष 2000 में 30 अमरनाथ यात्रियों को बनाया था निशाना
- साल 2000 में पहलगाम बेस कैंप पर आतंकियों ने हमला किया था। इसमें 30 अमरनाथ यात्री मारे गए थे और 60 से ज्यादा घायल हुए थे।
- साल 2001 में एक कैंप पर आतंकियों ने दो हथगोले फेंके। इसमें 12 श्रद्धालु मारे गए और 15 लोग घायल हुए।
- जुलाई 2002 में आतंकियों ने जम्मू के पास यात्रियों पर हथगोला फेंका और फिर गोलियां चलाईं। दो
यात्री मारे गए और दो घायल हुए।
- 06 अगस्त 2002 को जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रियों के एक कैंप पर आतंकियों ने हमला किया। 10 से ज्यादा लोग मारे गए और 30 घायल हुए।
- 2006 में आतंकियों ने एक बार फिर अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाया। इसमें एक श्रद्धालु की मौत हो गई थी।