नई दिल्ली। देश में हो किसान आत्महत्याओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नसीहत देते हुए दो टूक अंदाज में कहा कि किसान की खुदकुशी के बाद मुआवजा देना समस्या का हल नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को ऋण के प्रभाव को कम करने की जरूरत है। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि सर्वोच्च अदालत सरकार के खिलाफ नहीं है। किसान आत्महत्या का मसला रातों-रात नहीं सुलझाया जा सकता।
चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने किसानों की आत्महत्याओं से जुड़ी एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार को किसानों के लिए चल रही योजनाओं को अमली जामा पहनाना होगा। बेंच ने कहा, ‘सरकार को पूरी ताकत किसानों के लिए तैयार कल्याण योजनाओं को कागजों से निकालकर अमल करने में लगानी होगी।’ कोर्ट ने कहा कि सरकार सही दिशा में काम कर रही है, लेकिन किसानों के आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस दिशा में काम करने के लिए जो भी कदम उठाने की जरूरत है आप उठाइए। कोर्ट आपके साथ कदम मिलाकर चलेगी।