नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने 'कंगाल' होने के आधार पर अपनी तलाकशुदा पत्नी को 7,500 रूपए गुजारा भत्ता देने में असमर्थता जताने वाली एक व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ऐसे लोग शादी करने का फैसला करके किसी और की जिंदगी बर्बाद करते हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनोज जैन ने अगस्त 2015 में मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश के खिलाफ उत्तर पश्चिम दिल्ली निवासी एक व्यक्ति की अपील इस आधार पर खारिज कर दी कि अपील दायर करने के 18 महीने की तय अवधि के बाद इसे दायर किया गया। मजिस्ट्रेट अदालत ने व्यक्ति को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था।
न्यायाधीश ने कहा- अगर कोई अपने हलफनामे में कहता है कि वह बेहद गरीबी में रह रहा असल में कंगाल है तो मैं सोच भी नहीं सकता कि अगर वह अपना खर्चा उठाने की स्थिति में नहीं था तो उसने शादी क्यों की तथा एक और जिंदगी बर्बाद करने की सोची। न्यायाधीश ने आदेश के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए उसे अपनी पत्नी को 7,500 रूपए गुजारा भत्ता देने के लिए कहा और अदालत ने कहा कि व्यक्ति का उद्देश्य निर्वाह निधि देने में सिर्फ देरी करना है।