नई दिल्ली। देश में मिलावटी दूध और इनसे बने उत्पादों की बड़े पैमाने पर बिक्री की समस्या से निजात दिलाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जो मिलावटी दूध को चंद मिनटों में स्कैन कर उसमें मौजूद जहरीले तत्वों की पहचान कर लेगा।
इस उपकरण को 'क्षीर स्कैनर' का नाम दिया गया है। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) और केन्द्रीय इलेक्ट्राॅनिक इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान की पिलानी स्थित इकाई ने विकसित किया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी।
इलेक्ट्रोकेमिकल पद्धति पर आधारित यह मशीन महज एक मिनट में मिलावटी दूध में यूरिया, नमक, डिटर्जेंट, तरल साबुन, बोरिक एसिड, कास्टिक सोडा और हाइड्रोजन पैरोक्साइड की पहचान कर सकता है। इस मशीन के एक सिरे में स्कैनर लगा है जिसे मिलावटी दूध के नमूने में डालते ही वह उसमें मौजूद जहरीले तत्वों की पहचान बता देता है। इसे गावों और कस्बों मे दुग्ध सहकारी संस्थाओं कहीं भी आसानी से लगाया जा सकता है और दूध में मिलावट को रोका जा सकता है।
क्षीर स्कैनर प्रौद्योगिकी को व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए राजस्थान इलेक्ट्रानिक एंड इंस्ट्रूमेंट लिमिटेड और सूरत स्थित अल्पाइन टेक्नोलॉजी (आरइआईएल) को हस्तांतरित किया गया था। आइआईएल की ओर से बनाई गई ऐसी करीब 200 मशीनें पंजाब, गुजरात, गोवा, राजस्थान, केरल और पश्चिम बंगाल की डेयरियों में लगाई गई है।
सीएसआईआर ने हाल ही में क्षीर स्कैनकर का एक छोटा संस्करण घरेलू इस्तेमाल के लिए भी बाजार में उतारा है। इसे क्षीर टेस्टर का नाम दिया गया है। इसमें एक ऐसा साफ्टवेयर है जो कहीं और जांच किए गए दूध के नमूने की जांच रिपोर्ट एसएमएस के जरिए हासिल कर सकता है। सीएसआईआर क्षीर एनालाइजर के नाम से एक अल्ट्रासोनिक उपकरण भी विकसित कर रहा है। जो दूध में पानी, वसा, प्रोटीन और लैक्ट्रोज की मात्रा की जानकारी देगा।