श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से अपने भारी रॉकेट भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान GSLV-F09 के माध्यम से साउथ एशियाई संचार उपग्रह GSAT-9 का 4: 57 बजे लॉन्च किया।
इसरो के अधिकारी ने बताया कि साउथ एशियाई संचार उपग्रह GSAT-9 पाकिस्तान को छोड़कर भारत के अन्य शार्क देशों नेपाल, भूटान, मालदीव, बंगलादेश, श्रीलंका और अफगानिस्तान को अपनी सेवाएं देगा। 2230 किलोग्राम के इस उपग्रह की सेवाएं अन्य देश भी ले सकेंगे।
अधिकारी ने बताया कि 235 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित यह उपग्रह 12 वर्षों तक अपनी सेवाएं दे सकेगा। 50 मीटर ऊंचे इस रॉकेट के प्रक्षेपण में क्रॉयोजेनिक इंजन के उन्नत संस्करण का उपयोग किया जाएगा। इस उपग्रह में 12 कू-बैंड के ट्रांसपांडर लगे होंगे। GSLV की यह 11वीं लॉन्चिंग थी।
गौरतलब है कि पीएम मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में साउथ एशियाई देशों के समूह के लिए इस उपग्रह के 5 मई को प्रक्षेपण किए जाने की जानकारी दी थी। जीसैट-9 का निर्माण इसरो के बेंगलुरु स्थित उपग्रह केन्द्र ने किया है।
पीएम मोदी ने इसरो द्वारा साउथ एशियाई देशों के संयुक्त उपग्रह के प्रक्षेपण को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इससे इन देशों के बीच संबंधों का नया अध्याय शुरू होगा। मोदी ने ट्वीट किया, "यह दक्षिण एशिया और हमारी क्षेत्रीय प्रगति के लिए भी काफी लाभदायक होगा। मैं साउथ एशियाई उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए कठिन परिश्रम करने वाले वैज्ञानिकों को बधाई देता हूं। हमें इसरो पर गर्व है।
उन्होंने साउथ एशिया संचार उपग्रह के सफल लॉन्चिंग के बाद 6 सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों को विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसकी जानकारी दी। मोदी ने कहा "हम साउथ एशियाई देशों का संयुक्त परिवार हैं जो शांति की खोज, प्रगति और क्षेत्रीय एवं समस्त मानव समुदाय की समृद्धि के लिए एकजुट है।
मई 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों से शार्क उपग्रह बनाने के लिए कहा था। उन्होंने कहा कि उन्होंने दो साल पहले जो वादा किया था, उसे पूरा किया है। पीएम मोदी ने कहा कि यह उपग्रह पड़ोसी देशों को 'भारत की ओर से उपहार' होगा।