नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल पूछा कि क्यों सांसदों ने सरकार के उस फैसले पर आपत्ति नहीं जताई, जिसके जरिए पैन कार्ड बनवाने के लिए आधार को अनिवार्य बनाया गया है। इस कदम को 1 जुलाई से प्रभावी बनाया जाएगा।
बुधवार को न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा, संसद में 542 लोग बैठे हैं। उन्होंने इस पर क्यों आपत्ति नहीं जताई। अगर वे इस पर आपत्ति नहीं जता रहे हैं, तो हम इसमें क्यों पड़ें। जब पीठ से कहा गया कि केंद्र ने पहले शीर्ष अदालत में बयान दिया था कि वह आधार को अनिवार्य नहीं बनाएगी तो पीठ ने कहा, वे इससे बंध नहीं सकते। यह संसद को कोई वैधानिक प्रावधान बनाने से नहीं रोक सकता।
आधार एकमात्र व्यवस्था : केंद्र
आधार को आयकर रिटर्न दाखिल करने और पैन के लिए आवेदन करने के लिए अनिवार्य बनाने के केंद्र के रुख का बचाव करते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने देश में 10 लाख फर्जी पैन कार्ड का उल्लेख किया और कहा कि आधार एकमात्र व्यवस्था है, जो इनके दोहरीकरण या नकली कार्डों को रोक सकता है।
‘लीकेज’ रोकने के लिए नया कानून बनाए
सुनवाई के दौरान पीठ ने यह भी कहा कि भारत में कर चोरी होती है और यह ‘शर्मनाक’ है कि नागरिक कर नहीं देना चाहते हैं। अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि आधार स्वैच्छिक होना चाहिए और चूंकि कर चोरी होती है इसलिए सरकार इस तरह के ‘लीकेज’ को रोकने के लिए नया कानून बना सकती है। पीठ ने कहा, हम जानते हैं कि कर चोरी होती है। जब कर चोरी होती है, तो सरकार इन लीकेज को बंद करने के लिए नया कानून ला रही है। हम नागरिक उसे पसंद नहीं करते हैं। यह शर्मनाक है कि हम कर नहीं चुकाना चाहते हैं।