नई दिल्ली। पिछले दिनों उच्च शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग में देश के टॉप कॉलेज का खिताब जीतने वाले मिरांडा हाउस ने अपनी दृष्टिहीन छात्राओं को मोबाइल के जरिए उन्हें क्लास रूम का रास्ता दिखने का एक अनोखा प्रयोग भी शुरू किया है।
देशभर के मशहूर लड़कियों के कॉलेज मिरांडा हाउस की ये छात्राएं काॅलेज में लगे डिजिटल बार कोड को अपना मोबाइल फोन दिखाकर क्लास रूम से लेकर प्रिंसिपल के दफ्तर तक पहुंचने का रास्ता जान लेती हैं। इससे उन्हें अपने क्लास रूम ही नहीं बल्कि प्राचार्य के कमरे और कॉलेज में कहीं और जाने में भी सुविधा हो गई है।
यह अनोखी सुविधा कॉलेज के हॉस्टल में भी उपलब्ध कर दी गई है। 1948 में स्थापित यह कॉलेज केवल दिल्ली विश्वविद्यालय का ही नहीं बल्कि संभवत? देश का पहला कॉलेज है जहां नेत्रहीन छात्राओं के लिए इस तरह के डिजिटल बार कोड़ लगाए गए हैं।
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा गत दिनों सर्वश्रेष्ठ कॉलेज की रैंकिंग का खिताब जीतने वाली प्राचार्य डॉ. प्रतिभा जॉली ने बताया कि भारत में सरकार द्वारा शुरू की गई रैंकिंग में टॉप स्थान पाना कॉलेज के लिए गर्व की बात तो है ही लेकिन लड़कियों के कॉलेज को यह सम्मान पाना दरअसल देश की नारी शक्ति का सम्मान है।
इससे पता चलता है कि देश में करीब तीस हजार कॉलेजों के बीच इस कॉलेज की लड़कियां कितनी आगे निकल गई है। इन लड़कियों की सफलता और उपलब्धियों तथा शिक्षिकाओं की मेहनत के कारण यह कॉलेज आज देश में टॉप रैंकिंग काॅलेज बन गया है। उन्होंने कहा कि मिरांडा हाउस नारी सशक्तिकरण को लेकर प्रारंभ से ही संवेदनशील रहा है। यही कारण है कि हमने दृष्टिहीन छात्राओं के सशक्तिकरण के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर यह प्रयोग किया है।
इंटरनेशनल कमीशन आॅन फिजिक्स एजुकेशन की अध्यक्ष डॉ जॉली ने बताया कि उन्होंने कॉलेज और हॉस्टल मिलकर सौ स्थानों पर कमरे के बहार यह डिजिटल बार कोड़ लगवा दिया है जिसके सामने मोबाइल रखते ही मोबाइल उसे स्कैन कर लेता है और छात्राओं की मोबाइल से आवाज़ आने लगती है जिसमें उनको क्लास में पहुंचने के लिए पूरे रास्ते की जानकारी दी जाती है कि उन्हें किधर मुड़ना है, किधर सीढियां हैं और उन्हें कितनी सीढियां चढ़नी हैं। इन सबकी जानकारी उन्हें मिल जाती हैं। यहां तक कि उन्हें मोबाइल पर आवाज़ से यह भी पता चल जाता है कि मेरे रूम के दरवाजे शीशे के हैं ताकि वे संभल कर चले।