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दिखने लगा मोदी कैबिनेट के फैसले का असर- समय से पहले कई मंत्री और सीएम ने उतारी लाल बत्ती

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 20 2017 12:02PM | Updated Date: Apr 20 2017 3:03PM
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा वीवीआईपी कल्चर खत्म करने के लिए लाल बत्ती पर 1 मई से लगाई गई रोक का असर अभी से दिखने लगा है। एक मई से सड़कों पर चलने वाली मंत्रियों की गाड़ियों पर लाल बत्ती नहीं दिखाई देगी। ये फैसला आते ही बिहार में मंत्रियों के बीच अफरातफरी मच गई। कुछ मंत्रियों ने तो इस फैसले का स्वागत किया तो कुछ के चेहरे लाल हो गए। तेजस्वी यादव ने कहा- वे हमेशा ही वीवीआईपी कल्चर के खिलाफ हैं। 
 
कई मुख्यमंत्रियों हटाई लाल बत्ती 
केंद्र के इस फैसले का समर्थन करते हुए बीजेपी के कई नेता और मुख्यमंत्रियों ने अपने वाहन से लाल बत्ती हटा दी है। इनमें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस भी शामिल हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह तो काफी समय पहले ही यह कदम उठा चुके हैं।
 
वंसुधरा राजे ने भी दिए निर्देश 
भाजपा शासित राज्य राजस्थान में भी सीएम वंसुधरा राजे इस मामले में सख्त नजर आईं और खबर हैं कि उन्होंने भी अपने मंत्रियों को अपने वाहनों से लाल बत्ती हटाने के निर्देश दिए हैं। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तो खुद ही अपनी कार से लाल बत्ती हटाई। उत्तराखंड के मुख्यमंभी त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी अपनी कार से लाल बत्ती हटा ली है।
 
पहले दिमाग से हटाओ लालबत्ती 
इस बीच सीपीएम नेता वृंदा करात ने इस कदम को लेकर पीएम पर निशाना साधा और कहा कि गाड़ियों से बत्तियां तो मिनटों में हट जाती हैं असल दिक्कत तो दिमाग से लालबत्ती हटाने में आती है। लाल बत्ती हटाने से ज्यादा बड़ा मुद्दा लाल बत्ती कल्चर खत्म करना है। बता दें कि देश में बढ़ते वीआईपी कल्चर पर अंकुश लगाते हुए मोदी सरकार ने सभी नेताओं, जजों तथा सरकारी अफसरों की गाड़ियों से लाल बत्ती हटाने का निर्णय लिया है।
 
सुप्रीम कोर्ट पहले ही दे चुका है फैसला
सुप्रीम कोर्ट अनावश्यक लाल बत्तियां हटाने का आदेश दे चुका था। कोर्ट ने 2014 में पुनः लाल बत्ती को स्टेट्स सिंबल बताते हुए कहा था कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों तथा एंबुलेंस, फायर सर्विस, पुलिस तथा सेना को छोड़ किसी को भी लाल बत्ती लगाने की जरूरत नहीं। 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को विशिष्ट व्यक्तियों की सूची में कटौती को कहा था।
 
जेटली के मुताबिक फैसले के तहत 1998 की मोटर वाहन नियमावली के नियम 108(1-तृतीय) तथा 108(2) में संशोधन किया जाएगा। नियम 108(1-तृतीय) के तहत केंद्र व राज्य सरकारों को वाहनों में लाल बत्ती लगाने योग्य विशिष्ट व्यक्तियों की सूची जारी करने का अधिकार है। जबकि 108(2) के तहत राज्यों को नीली बत्ती लगाने योग्य अधिकारियों की सूची जारी करने का अधिकार दिया।
 
मोदी सरकार ने की मेरी नकल
गाड़ियों से लाल बत्ती हटाने के केंद्र सरकार के फैसले पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि,  मैं तो बीते 11 साल से लालबत्ती लगी गाड़ी नहीं चढ़ता हूं।  साथ ही उन्होंने कहा कि 'मैं जो करता हूं, केंद्र उसे दोहराता है। 
 
हम तो लालबत्ती लगाते ही नहीं हैं
इस मुद्दे पर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि हम तो लालबत्ती लगाते ही नहीं हैं। लालबत्ती लगाएंगे तभी तो उसे हटाएंगे।  उधर स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव ने भी कहा कि वो और ना ही उनके माता-पिता लालबत्ती का इस्तेमाल करते हैं। 
 
लाल बत्ती लगाने का इन्हें था अधिकार 
 वित्त विभाग की पांच सरकारी गाड़ियों, केंद्र सरकार व अन्य राज्यों के उच्च पदों के अधिकारियों के प्रयोग में लानेवाली गाड़ियां, बिहार विधान परिषद के उपसभापति, विस के उपाध्यक्ष, मंत्री, राज्य मंत्री, उप मंत्री, राज्य निर्वाचन आयुक्त, राज्य योजना पार्षद के सदस्य, मुख्य सचिव, महाधिवक्ता, बिहार अल्पसंख्यक आयोग, एससी-एसटी आयोग के, अति पिछड़ा वर्ग आयोग, महादलित आयोग, उच्च जातियों के लिए आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग व  बीपीएससी के अध्यक्ष, प्रधान अपर महाधिवक्ता, विधानसभा की कमेटी के सभापति व विधान परिषद की कमेटी के अध्यक्ष। 
 
नीली बत्ती लगाने का इन्हें था अधिकार
 सभी प्रधान सचिव, पुलिस-अपर पुलिस महानिदेशक, सरकार के सचिव, महानिबंधक-निबंधक उच्च न्यायालय, प्रमंडलीय आयुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, क्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक, राज्य परिवहन आयुक्त, क्षेत्रीय पुलिस उप महानिरीक्षक, जिला व सत्र न्यायाधीश, प्रधान न्यायाधीश, समकक्ष, जिला पदाधिकारी, अपर जिला व सत्र न्यायाधीश, उप विकास आयुक्त, अपर जिला दंडाधिकारी, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी। केंद्रीय कैबिनेट के निर्णय को देखा जाएगा। सरकार जो निर्णय लेगी उसका अनुपालन होगा। 
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