नई दिल्ली। इस साल जुलाई में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। कयास लगाया जा रहा था कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी और लाल कृष्ण आडवाणी इस पद के लिए प्रबल दावेदार है। बाबरी मस्जिद विध्वंश केस में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इन दोनों दावेदारों को लगभग दौड़ से बाहर कर दिया है।
लालकृष्ण आडवाणी
जुलाई महीने में देश को नया राष्ट्रपति मिलना है और इस रेस में लालकृष्ण आडवाणी भी शामिल माने जा रहे हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद उनके लिए ये राह मुश्किल लग रही है। खुद उनका नैतिक अतीत उनके लिए रोड़ा है। जब 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी पीएम बने तब आडवाणी जैन हावाला कांड में नाम आने के कारण उनकी कैबिनेट का सदस्य रहना गवारा नहीं किया। अब सवाल है कि क्या आडवाणी खुद ही राष्ट्रपति की रेस से बाहर होने का एलान करेंगे।
जोशी को अभी मिला है पद्म विभूषण
गौरतलब है कि इसी साल मोदी सरकार ने जोशी को पद्म विभूषण सम्मान भी दिया है। दोनों जोशी और लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य हैं। हालांकि दोनों नेता शुरुआत में मोदी सरकार से असहमति के संकेत देते रहे लेकिन हाल में इन नेताओं से संबंध मोदी और अमित शाह से सुधर रहे थे।
कल्याण सिंह
कल्याण सिंह इस वक़्त राजस्थान के राज्यपाल हैं। इस केस में वो भी नामजद हैं, लेकिन बतौर राज्यपाल उनपर कानूनी इम्यूनिटी मिली हुई है। लेकिन उनपर भी नैतिक दबाव है कि वो क्या फैसला लेते हैं।