नई दिल्ली। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित कई मंत्री अंग्रेजी में नहीं, बल्कि हिन्दी में भाषण देते नजर आएंगे, क्योंकि संसदीय समिति इस सिफारिश को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने स्वीकार कर लिया है। इस सिफारिश में ये कहा गया है कि राष्ट्रपति, मंत्री और अधिकारियों को हिंदी में ही भाषण देना चाहिए। हालांकि, इसमें ये जोड़ा गया है कि जो हिन्दी बोल या पढ़ सकते हैं, उन्हें ऐसा करना चाहिए।
गौरतलब है कि आधिकारिक भाषाओं पर संसद की समिति ने हिन्दी को लोकप्रिय बनाने के लिए पिछले छह साल में 117 सिफारिशें की है। राष्ट्रपति के नोटिफिकेशन को सभी मंत्रालयों, राज्यों और प्रधानमंत्री कार्यालय के पास लागू करने के लिए भेजा गया है। सिफारिश में कहा गया है कि केंद्र सरकार के कार्यालयों में अंग्रेजी की तुलना में हिंदी की पत्र-पत्रिकाओं और किताबों की ज्यादा खरीदारी करने की बात शामिल है।
संसदीय समिति ने सीबीएसई से जुड़े सभी स्कूलों और केंद्रीय विद्यालयों में कक्षा 10 तक हिंदी को अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाने का प्रस्ताव भी दिया था। अभी इन स्कूलों में कक्षा 8 तक ही हिंदी पढ़ना अनिवार्य है। वहीं गैर-हिन्दी भाषी राज्यों के यूनिवर्सिटीज को कहा गया है कि परीक्षाओं और इंटरव्यू में हिन्दी में उतर देने का विकल्प दें।