नई दिल्ली। श्रीनगर में रविवार को उपचुनाव मतदान के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। इसकी एक वजह गृह मंत्रालय की सलाह को नजरंदाज करना भी बताया जा रहा है। दरअसल, चुनाव आयोग ने चुनाव कराने के लिए अनुकूल माहौल नहीं होने के गृह मंत्रालय की सलाह को नजरंदाज कर श्रीनगर लोकसभा सीट पर उपचुनाव करवाया।
हिंसा में आठ लोगों की मौत, कई घायल
दरअसल, उपचुनाव का बहिष्कार करने के अलगाववादियों के आह्वान के बाद प्रदर्शनकारियों ने उपचुनाव के दौरान मतदान केंद्रों को निशाना बनाकर उत्पात मचाया था इस हिंसा में करीब आठ लोगों की मौत हो गई थी और करीब 105 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
इतिहास का सबसे कम मतदान
सबसे अहम यह कि भारी हिंसा के बीच हुए उपचुनाव में केवल 6.5 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सबसे कम मतदान माना जा रहा है।
क्या कहा था गृह मंत्रालय ने
10 मार्च को उपचुनावों के कार्यक्रम की घोषणा होने के तुरंत बाद गृह मंत्रालय ने सख्त शब्दों में चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा था कि श्रीनगर और अनंतनाग निर्वाचन क्षेत्रों में उपचुनाव के संबंध में उसकी राय नहीं ली गई। गृह मंत्रालय ने कहा था कि कश्मीर घाटी में माहौल अनुकूल नहीं है और इसलिए मतदान देरी से होना चाहिए और अगले कुछ महीने बाद पंचायत चुनाव के होने पर इसे कराना ठीक रहेगा।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि हालांकि, चुनाव आयोग ने गृह मंत्रालय की सलाह को नजरंदाज किया और श्रीनगर और अनंतनाग सीटों पर उपचुनाव के अपरे कार्यक्रम पर कायम रहा। श्रीनगर में रविवार को मतदान हुआ जबकि अनंतनाग में बुधवार को उपचुनाव होगा। इस घटना के बाद कश्मीर में सत्तारूढ़ पीडीपी ने चुनाव आयोग से मांग की है कि 12 अप्रैल को अनंतनाग संसदीय क्षेत्र में होने जा रहे उपचुनाव को स्थगित कर दिया जाए।
राहुल गांधी ने बताया केंद्र की नाकामी
वहीं, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बेहद कम संख्या में मतदान में हिस्सा लेने को लेकर सोमवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह राज्य की भारतीय जनता पार्टी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक की गठबंधन सरकार और केंद्र की कश्मीर नीति की ‘नाकामी’ को दर्शाता है।
राहुल ने ट्वीट किया- कश्मीर में दशकों की कठिन मेहनत के बाद लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति निर्मित विश्वास को बीजेपी सरकार ने तीन साल से भी कम समय में खत्म कर दिया। उन्होंने अगले ट्वीट में लिखा- कश्मीर में रविवार को हुए उप-चुनाव राज्य की बीजेपी-पीडीपी गठबंधन सरकार और केंद्र की कश्मीर नीति की नाकामी को दर्शाता है।