नई दिल्ली। सरकार ने शुक्रवार को सदन में कहा कि रूस भारत का महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है और आगे भी बना रहेगा। सरकार ने कहा कि चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ उसके क्या सबंध है इससे भारत को कोई लेना देना नहीं है। भारत और रूस के संबंध परस्पर हितों पर आधारित हैं।
रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि वैश्विक राजनीतिक परिस्थितियों के बीच चीन और पाकिस्तान के साथ रूस के संबंधों को लेकर चिंता या संशय की कोई वजह नहीं होनी चाहिए।
भारत तीसरे पक्ष के संबंधों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। रूस भारत का एक महत्पूर्ण रक्षा सहयोगी है और आगे भी रहेगा। दोनों देशों के संबंध घनिष्ठ हैं। इसे लेकर कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
इससे पहले आरएलएसपी के अरुण कुमार ने चीन और पाकिस्तान के साथ रूस के घनिष्ठ हो रहे संबंधो पर चिंता जताते हुए कहा कि भारत का अपने करीबी सहयोगी रूस की इस नीति पर क्या रुख है। सरकार इस बारे में क्या कहना चाहती है।
इस पर भामरे ने कहा कि रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए रूस के साथ समय-समय पर बैठक भी की जाती है। दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों तथा रक्षा तकनीक सहयोग निगरानी समिति की बैठकें भी होती रहती है।
इसी क्रम में 14-18 मार्च के दौरान रूस के नौसेना प्रमुख व्लादिमीर कोरोलेव की भारत यात्रा के समय दोनों देशों की नौसेना से जुड़े मुद्दों, मिग 29 विमानों के लिए मध्यम और लघु उद्योग स्तर पर आदान-प्रदान, पनडुब्बी सहयोग तथा 1135.6 फ्रिगेट के एक दूसरे के बंदरगाहों में रखरखाव पर व्यापक चर्चा की गई।
उन्होंने कहा कि गोवा में गत वर्ष सितंबर में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की मुलाकात में रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए हुई वार्ता के बाद ये बैठकें आयोजित की गई।