नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि देश की सभी जिला अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। उच्चतम न्यायालय ने इसके लिए तीन माह का समय दिया है।
न्यायमूर्ति ए के गोयल और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ ने बुधवार को जारी अपने आदेश में कैमरे लगाएं जाने को कहा है। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इन कैमरों में ऑडियो सुविधा नहीं होंगी। पीठ ने प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की कम से कम दो जिला अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का आदेश दिया।
पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिन्दर सिंह और वरिष्ठ अधिवक्ता वेंकटरमणी की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश सुनाया। शीर्ष अदालत ने कहा कि देश भर के 24 उच्च न्यायालय यह सुनिश्चित करें कि हर राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों की कम से कम दो जिला और सत्र अदालतों में सीसीटीवी कैमरों की सुविधा उपलब्ध हो सकें।
अदालत कक्षों में कैमरे लगाये जाने को लेकर कई बार केंद्र सरकार शीर्ष अदालत को पत्र लिख चुकी है। केंद्र सरकार ने अगस्त 2013 से लेकर अब तक इस बाबत तीन बार मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखे हैं। सरकार ने कैमरे लगाने को लेकर तर्क दिया कि इससे पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
पीठ ने कहा कि सुनवाई की रिकॉर्डिंग सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं हो सकेगी। न्यायालय ने कहा, "हम यह साफ कर देते हैं कि ये सीसीटीवी का फुटेज आरटीआई कानून के तहत आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं होगा। इसके अलावा संबंधित कोर्ट की अनुमति के बिना इसे किसी को भी नहीं दिया जाएगा।" शीर्ष अदालत ने कहा कि सीसीटीवी का फुटेज संबंधित उच्च न्यायालय के कब्जे में रखा जाएगा।